रांची से लगभग 65 किलोमीटर दूर रामगढ़ जिले के रजरप्पा शक्तिपीठ में स्थित सैंकड़ों वर्ष पुरानी मां छिन्नमस्तका के नाम से विख्यात काली की मूर्ति को खंडित कर उसके रत्नाभूषण चोरी करने वाले अपराधियों का पता लगाने में एक माह बाद भी राज्य पुलिस विफल रही है.
अपराधियों ने एक और दो जुलाई की मध्यरात्रि को माता की मूर्ति खंडित कर उसके हीरे और सोने से बनी आंखें, उसकी सोने की बिंदी, चांदी का पूरे विग्रह का कवच और छत्र तथा अन्य रत्न चुरा लिये थे. घटना के तुरन्त बाद राज्य के राज्यपाल एम ओ एच फारूक, मुख्य सचिव, गृह सचिव तथा पुलिस महानिदेशक ने अपराधियों का शीध्र पता लगाकर चोरी गये बहुमूल्य रत्नों एवं आभूषणों की बरामदगी का दावा किया था. लेकिन आज एक माह बीत जाने के बाद भी पुलिस अपनी जांच में शून्य पर ही नजर आती है.
झारखंड के पुलिस महानिदेशक नेयाज अहमद ने स्वीकार किया कि रजरप्पा शक्तिपीठ में हुई चोरी के मामले में पुलिस अब तक कोई ठोस सफलता नहीं हासिल कर सकी है. लेकिन उन्होंनें दावा किया कि इस चोरी का पुलिस पर्दाफाश अवश्य करेगी. बहरहाल उन्होंनें कोई समय सीमा नहीं बताई.
नेयाज अहमद ने कहा, हमारा ध्यान रजरप्पा मंदिर की जांच से हटा नहीं है और इसे हम हर हाल में अंजाम तक पहुंचायेंगें. अब तक की जांच के बारे में पूछने पर उन्होंनें विस्तार से कुछ भी बताने से इन्कार किया लेकिन आश्चर्यजनक रूप से यह अवश्य स्वीकार किया कि अब तक की जांच में यह मामला स्थानीय अपराधियों का कृत्य प्रतीत होता है.
माता की मूल मूर्ति के दर्शन वाले घनानंद ने कहा, 17 जुलाई को मंदिर में नयी मूर्ति स्थापित कर उसमें वैदिक विधि से प्राण प्रतिष्ठा कर दी गयी लेकिन हमारी दृष्टि तो अपनी उसी माता को ढूंढ़ रही हैं जिसका दर्शन हम पिछले चालीस वषरे से अधिक समय करते आये हैं.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री रघुवर दास ने इस संबंध में पूछे जाने पर कहा कि रामगढ़ के पुलिस अधीक्षक हेमंत टोप्पो इस मामले की जांच में स्वयं जुटे हुए थे. घटना के दिन से ही वह अपराध विज्ञान विशेषज्ञों और वरिष्ठ अधिकारियों की मदद से इस मामले को सुलझाने में जुटे हुए थे लेकिन इस सप्ताह जब उनका भी राज्यपाल ने स्थानांतरण कर दिया तो राज्य सरकार के छिन्नमस्तका माता की मूर्ति को खंडित करने वालों को पकड़ने के दावों की पोल खोल खुल गयी और उसकी नियत भी स्पष्ट हो गयी.
झारखंड के एक अन्य वरिष्ठ नेता और जद यू के प्रवक्ता एस एन मिश्र ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि यदि स्थनीय अपराधियों ने मंदिर में चोरी की थी तो पुलिस एक माह बाद भी हाथ पर हाथ धरे कैसे बैठी है.