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राजस्थान में शुरू होगी काउ सफारी, टूरिस्ट बैलगाड़ी से ले सकेंगे मजा

जयपुर से करीब 30 किमी दूर हिंगोनिया गौशाला के हालात दो साल पहले जिसने भी देखे थे उसके रोंगटे खड़े हो गए थे. लेकिन पिछले दो सालों में हिंगोनिया गौशाला को देखने के लिए टूरिस्ट पहुंच रहे हैं.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

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राजस्थान में काउ सफारी अब टूरिज्म का नया चेहरा होगा. यहां आने वाले पर्यटक अब कुछ दिन गायों के साथ गुजार पाएंगे. दो साल पहले 'आज तक' ने जिस हिंगोनिया गौशाला को गायों का कब्रगाह बनने का खुलासा किया था वहां पर अब काउ सफारी बन रहा है. यहां पर लोग बैलगाड़ी में बैठकर देशभर के अलग-अलग गायों की नस्लों को देखेंगे. साथ ही गायों के साथ उस जंगल में ट्री हाउस पर रुक भी सकेंगे.

जयपुर से करीब 30 किमी दूर हिंगोनिया गौशाला के हालात दो साल पहले जिसने भी देखे थे उसके रोंगटे खड़े हो गए थे. लेकिन पिछले दो सालों में हिंगोनिया गौशाला को देखने के लिए टूरिस्ट पहुंच रहे हैं. 'आज तक' पर खबर दिखाई गई थी कि राजस्थान में किस तरह से हिंगोनिया का गौशाला गायों के लिए कब्रगाह बना हुआ है, उसके बाद हिंगोनिया गौशाला को सरकार ने अक्षय पात्र नाम की संस्था को दे दिया. आजकल हिंगोनिया गौशाला के जंगलों में  काउ सफारी बनाने का काम तेजी से चल रहा है.

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हिंगोनिया गोशाला के इंचार्ज राधा प्रिया दास ने बताया कि इस काउ सफारी में देशभर के देसी गायों को रखा जाएगा, जहां पर लोग बैलगाड़ी से पूरे जंगल में घूमेंगे. प्राकृतिक तरीके से गाय यहां पर चारा खाएंगी और टूरिस्ट यहां गायों को चारा खिला पाएंगे. बैलगाड़ी पर घूमना निशुल्क रखा गया है.

इसी तरह से यहां पर पेड़ों पर रहने की व्यवस्था की जा रही है, जहां ट्री हाउस बनाया जा रहा है. ट्री हाउस में लोग रात को गायों के बीच रुक भी सकेंगे. पानी के लिए जंगल के पुराने प्राकृतिक जलस्रोतों को फिर से पुर्नजीवित किया जा रहा है.

इस काउ सफारी में थारपारकर, गीर, नागौरी जैसी नस्ल की गायें रखी जाएंगी. लोगों को इनके बारे में बताया जाएगा. मसलन गीर गाय जिसके मूत्र में स्वर्ण होने की बात कही जाती है.

गौरतलब है कि राजस्थान देश का पहला राज्य है जहां पर गाय मंत्रालय बनाया गया है और गायों के लिए अलग से टैक्स लिया जाता है. जन्माष्टमी के दौरान इस काउ सफारी को शुरू किया जाएगा.

स्काउट सफारी में लोगों को गौ सेवा का भी मौका दिया जाएगा. जो कोई गाय को अपनाना चाहता है वो एक गाय को अपनाकर उसकी सेवा भी कर सकता है और उसके लिए पैसे भी दे सकता है.

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यहां आने वाले लोगों के लिए गाय से बनी हुई चीजें भी खाने को मिलेंगी. रिसेप्शन एरिया से लेकर कैंटीन तक हिंगोनिया गौशाला के गायों से बनी हुई दूध, लस्सी, छाछ, रबड़ी, मिठाईयां जैसी चीजें उपलब्ध होंगी. टूरिज्म से जुड़े लोगों का कहना है कि इससे राजस्थान में टूरिज्म बढ़ेगा.

हिंगोनिया गोशाला को फिलहाल राजस्थान सरकार जयपुर नगर निगम के जरिए पैसे देता है. लेकिन राजस्थान सरकार इसे ऐसे मॉडल के रूप में बनाना चाहती है जहां से ये खुद पैसे कमाने लगे. फिलहाल यहां दूध, गोबर, आदि की बिक्री शुरू हो गई है.

राजस्थान में कुल एक करोड़ 33 लाख गोवंश हैं जिसमें से 6 लाख गोशालाओं में है. इनमें 33 लाख दुधारू गाय हैं. हिंगोनिया में फिलहाल करीब 25 हजार गाय हैं.

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