राजस्थान में आरक्षण को लेकर गुर्जर महापंचायत फिर बैठी है. गुर्जर समुदाय ने अपनी मांगे मनवाने के लिए गहलौत सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर सरकार ने इस दौरान अपना नजरिया साफ नहीं किया तो वो फिर से आंदोलन करेंगे.
हजारों की तादाद में लोग करौली जिले के हिंडौन में धरने पर बैठ गए हैं. महापंचायत को महापड़ाव में तब्दील कर इन लोगों ने धमकी दी है कि अगर सरकार ने जवाब नहीं दिया, तो फिर आंदोलन रेलवे की पटरियों तक पहुंचेगा. पिछले साल आरक्षण की मांग को लेकर हुई हिंसा में करीब चालीस लोग मारे गए थे.
गुर्जरों का गुस्सा तभी शांत हुआ जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस समुदाय के लोगों को पांच फीसदी आरक्षण देने का वादा किया लेकिन वसुंधरा राजे सरकार ने जब इस संबंध में विधेयक पारित कर उसे राज्यपाल के पास भेजा तो उसमें आर्थिक दृष्टि से कमजोर सवर्ण जाति के लोगों के लिए भी 14 फीसदी आरक्षण देने का अनुमोदन कर दिया.
ये विधेयक 16 जुलाई 2008 से राज्यपाल के पास अनुमोदन के लिए लंबित है. राज्यपाल ने अब तक इस विधेयक पर न तो दस्तखत किए हैं, न ही इसे विधानसभा को लौटाया है और न ही राष्ट्रपति को भेजा है. जहां तक गहलौत सरकार का सवाल है तो उसका कहना है कि संविधान विशेषज्ञों से राय लेने के बाद ही वो इस मुद्दे पर कोई फैसला लेगी.