राजस्थान के करीब सौ करोड के स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर आजतक के खुलासे के बाद राजस्थान में हडकंप मच गया.
सरकार ने तुरंत कार्रवाई की और फर्जी संस्थाओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश जारी कर दिए.
इसके साथ ही फैसला किया कि आगे से संस्थानों को स्कॉलरशिप का पैसा नहीं दिया जाएगा बल्कि सीधे छात्रों को स्कॉलरशिप दी जाएगी.
राजस्थान के समाज कल्याण विभाग में स्कॉलरशिप के नाम पर मची लूट का खुलासा होते ही राज्य सरकार मे हडंकप मच गया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर रविवार को छुट्टी होने के बावजूद अधिकारियों की बैठक बुलाई गई.
आनन फानन में सरकार ने दो डिप्टी डायरेक्टरों को हटाने का फैसला किया. जयपुर के सामाजिक कल्याण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर बद्रीलाल मीणा और सवाई माधोपुर के डिप्टी डायरेक्टर राजाराम मीणा को हटा दिया गया.
स्कॉलरशिप घोटाले भंडाफोड के बाद सरकार में इस कदर हडकंप है कि सामाजिक कल्याण विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी अदिति मेहता ने सभी जिलो के मजिस्ट्रेट को निर्देश जारी किए कि इस मामले को लेकर तुरंत जांच शुरु की जाए और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआरआई दर्ज की जाए.
समाज कल्याण विभाग मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के जिम्मे हैं. ये विभाग एससी-एसटी छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिए हर साल करोड़ों रुपए आवंटित करता है लेकिन ये पैसे जरूरतमंद छात्रों तक नहीं पहुंच रहे थे. फर्जी संस्थानों को ये पैसे दिए जा रहे थे. जिन छात्रों को ये स्कॉलरशिप दी जा रही थी, वो भी फर्जी थे.