सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में सात दोषियों को उम्रकैद से छूट देने के मामले को आज संविधान पीठ को भेज दिया और कहा कि उन्हें रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले पर रोक लगाने वाला उसका उसका अंतरिम आदेश जारी रहेगा.
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि तमिलनाडु सरकार के सजा से छूट के फैसले को चुनौती देने वाली केंद्र की ओर से दाखिल याचिका पर संविधान पीठ फैसला करेगा और उसके द्वारा निर्णय के लिए सात सवाल निर्धारित किए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि तीन महीने के भीतर संविधान पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगा. साथ ही पीठ यह भी देखेगी कि क्या सरकार मृत्युदंड से उम्रकैद में बदली गयी एक कैदी को सजा से छूट दे सकती है.
कोर्ट ने तीनों दोषियों मुरुगन, संथन और अरिवू की रिहाई के फैसले पर 20 फरवरी को रोक लगा दी थी. कोर्ट ने उनकी रिहाई के फैसले में राज्य सरकार की तरफ से प्रक्रियागत खामियां होने की बात कहते हुए यह रोक लगाई थी. कोर्ट ने 18 फरवरी को इनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था. शीर्ष कोर्ट ने बाद में मामले में दोषी नलिनी, राबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन की रिहाई पर भी रोक लगा दी थी.
जयललिता सरकार ने हत्याकांड में 19 फरवरी को सभी सातों दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था. संथन, मुरूगन और अरिवू अभी केंद्रीय जेल वेल्लूर में है और वे 1991 से कारागार में बंद हैं. अन्य चारों भी श्रीपेरूंबदूर में 21 मई 1991 को राजीव गांधी के हत्याकांड मामले में अपनी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं.