सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रही एस. नलिनी की याचिका खारिज कर दी है. याचिका में कानून के उस प्रावधान को चुनौती दी थी, जिसके तहत उस दोषी की सजा घटाने के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति लेनी होती है, जिसके मामले की जांच सीबीआई ने की हो.
चीफ जस्टिस एच.एल. दत्तू, न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति ए.के. सीकरी की बेंच ने सोमवार को नलिनी की याचिका खारिज करते हुए कहा, 'क्षमा करें, हमें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.'
नलिनी ने सीआरपीसी की धारा 435(1) को चुनौती दी थी, जिसमें यह प्रावधान है कि यदि किसी अपराध की जांच सीबीआई ने की है और उसमें किसी व्यक्ति को कोर्ट ने दोषी ठहराया है, तो राज्य सरकार केंद्र की सहमति के बगैर दोषी की सजा माफ नहीं कर सकती.
नलिनी के वकील एम. राधाकृष्णन ने कोर्ट से कहा कि कोई जांच एजेंसी, आजीवन कारावास की सजा काट रहे किसी दोषी की सजा माफ करने के राज्य सरकार के अधिकार के रास्ते में कैसे रोड़ा बन सकती है, वह भी ऐसे दोषी के मामले में जो पहले ही 14 साल की सजा काट चुकी है. राधाकृष्णन ने कहा कि 14 साल सजा काटने के बाद वह रिहा होने की हकदार है.
राजीव गांधी की हत्या के मामले में नलिनी आजीवन कारावास की सजा भुगत रही है. तमिलनाडु के राज्यपाल ने 24 अप्रैल, 2000 को उसके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था. वह पिछले 23 साल से जेल में है. निचली अदालत ने उसे 28 जनवरी, 1998 को मृत्युदंड सुनाया था.