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राजीव गांधी हत्‍या मामले मे सुप्रीम कोर्ट ने की तमिलनाडु की खिंचाई

केंद्र सरकार ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि तमिलनाडु सरकार का राजीव गांधी हत्याकांड के आरोपियों की सजा में छूट देने का फैसला मनमाना और पीड़ितों के अधिकार पर आघात करने वाला है.

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सुप्रीम कोर्ट
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केंद्र सरकार ने गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि तमिलनाडु सरकार का राजीव गांधी हत्याकांड के आरोपियों की सजा में छूट देने का फैसला मनमाना और पीड़ितों के अधिकार पर आघात करने वाला है.

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केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत में प्रधान न्यायाधीश पी. सतशिवम, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति एन.वी. रमण की पीठ को बताया कि तमिलनाडु सरकार का सजा में छूट देने का फैसला न्यायसीमा की परिधि से बाहर, मनमाना और संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन भी है.

केंद्र ने कहा कि फैसले में इस बात का भी ध्यान नहीं रखा गया कि मानव बम के हमले में कम से कम 18 निर्दोष लोगों की जान गई थी और 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. केंद्र सरकार ने कहा कि राज्य सरकार की कार्रवाई भेदभावकारी और परिवार एवं पीड़ितों के अधिकार से संबंधित अनुच्छेद 21 का उल्लंघन भी है.

फैसले को हड़बड़ी में और बदनीयत से लिया गया करार देते हुए केंद्र ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह राज्य सरकार के अनधिकृत कार्रवाई में हस्तक्षेप की मांग करता है. तमिलनाडु सरकार ने कहा कि उसने केंद्र सरकार से राजीव गांधी हत्या मामले के सात दोषियों को रिहा करने के अपने फैसले पर नजरिए की मांग की है और उसके इस प्रस्ताव को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती.

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राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत से कहा कि विचार जानने के लिए लिखे गए एक पत्र को आप अदालत में चुनौती नहीं दे सकते. राज्य ने केंद्र सरकार की ओर से 20 फरवरी को सर्वोच्च न्ययालय में दायर याचिका पर अपने जवाब में सात दोषियों को छूट प्रदान करने के अपने अधिकार को दोहराया है और कहा है कि केंद्र सरकार के पास उसके फैसले को चुनौती देने का बुनियादी अधिकार नहीं है.

शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को सातों दोषियों को रिहा करने के तमिलनाडु सरकार के फैसले पर रोक लगाते हुए कहा था कि कैदियों को रिहा करने या उनकी सजा कम करने के बारे में प्रक्रिया शीर्ष अदालत निर्धारित करेगी.

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