scorecardresearch
 

राजीव गांधी के बलिदान दिवस पर कांग्रेस में जान फूंकने की कोशिश

राजीव गांधी का 25वां बलिदान दिवस पर इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में यूथ कांग्रेस के कार्यक्रम में मंच पर कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता नजर आए. लोकसभा सीटों को पैमाना मानें तो राजीव के दौर में कांग्रेस शिखर पर थी और उनकी शहादत के 25 साल बाद फर्श पर नजर आ रही है.

Advertisement
X

Advertisement

राजीव गांधी का 25वां बलिदान दिवस पर इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में यूथ कांग्रेस के कार्यक्रम में मंच पर कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता नजर आए. लोकसभा सीटों को पैमाना मानें तो राजीव के दौर में कांग्रेस शिखर पर थी और उनकी शहादत के 25 साल बाद फर्श पर नजर आ रही है. नेताओं की चिन्ता लाजमी थी. कोई मंच से तो कोई गलियारे में अपने तरीके से बदलाव की बात कर रहा था.

कार्यकर्ताओं को सोनिया ने किया संबोधित
राजीव गांधी के बलिदान दिवस के दिन 25 सालों में पहली बार खुद सोनिया भाषण देती नजर आईं और ढांढस बधाते हुए कहा कि, असफलता स्थायी नहीं होती, बुनियादी सिद्धान्त से नहीं भटकना चाहिए. अपने पति राजीव की यादों के इर्द गिर्द सोनिया इमोशनल स्पीच देती नजर आईं, बाकी नेताओं ने राजीव की शहादत, देश-विदेश में लोकप्रियता, सूचना क्रान्ति, पंचायती राज और युवाओं को 18 साल में मतदान का अधिकार के जरिये मोदी सरकार पर निशाना साधा.

Advertisement

पहले दिग्विजय ने की शुरुआत...
संगठन में मेजर सर्जरी की जरूरत बताकर हलचल मचाने वाले बेबाक दिग्विजय सिंह ने युवा काग्रेसियों के सामने खूब तालियां बटोरीं. मेजर सर्जरी की बात दोहराते हुए एक कदम आगे बढ़ाते हुए कहा कि इसमें अगर मेरा पत्ता भी कटता है तो कट जाए, मुझे खुशी होगी. लेकिन मैं अपने आलाकमान से कहूंगा कि अब बागडोर युवाओं के हाथों में सौंप देनी चाहिए.

जनार्दन द्विवेदी रखी अपनी बातें
अमूमन चुप रहने वाले कांग्रेस के संगठन महासचिव जनार्दन द्विवेदी भी मंच से भाषण देने के बाद हमारे सवालों का जवाब देने के लिए सामने आए. दिग्विजय के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि 'मैं सर्जरी जैसा शब्द इस्तेमाल नहीं करता, लेकिन कांग्रेस पार्टी जैसी होनी चाहिए, फिलहाल वैसी नहीं है, कुछ कमियां हैं, जिनको दूर करना होगा'. साथ ही उन्होंने कहा कि नई चुनौतियों का सामना करने लायक संगठन बना रहे, इसके लिए प्रयोग होने चाहिए और ये निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है.

शीला दीक्षित ने भी संभाला मोर्चा
संभली-संभली दिल्ली की तीन बार की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बदलाव के सवाल पर कहा कि आज के वक्त में कुछ तो ऐसा होना चाहिए, जिससे नई ऊर्जा का संचार हो. हालांकि शीला ने बदलाव और राहुल के अध्यक्ष बनने का फैसला सोनिया पर छोड़ दिया. प्रशांत किशोर के सुझाव के बाद यूपी में शीला के चेहरा बनने के सवाल के जवाब में वो बोलीं कि अभी ना प्रशांत ने और कांग्रेस आलाकमान ने उनसे इस बारे में बात की है. इसलिए अभी ना ही मैं हां कहूंगी और ना ही ना कहूंगी, सही वक्त आने पर बता दूंगी.

Advertisement

गुलाम नबी आजाद पार्टी संयोजन पर दिया जोर
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता गुलाम नबी आजाद ने सिर्फ युवाओं को बागडोर थमाने के जवाब में कहा कि बदलाव तो कांग्रेस में आजादी के पहले से लेकर आज तक होते रहे हैं, लेकिन पार्टी में हमेशा यूथ, मध्य उम्र वाले और अनुभवी तीनों का संयोजन रहता है और बदलाव एक सतत प्रक्रिया के तहत हो ना कि हार जीत के लिहाज से.

कांग्रेस में बड़े बदलाव के संकेत: राजीव गांधी के 25वें बलिदान दिवस के दौरान सोनिया का पहली बार भाषण और नेताओं के इस तरीके के बयान इशारा कर रहे हैं कि अब पानी सिर के ऊपर से बह रहा है और कांग्रेस डूब रही है, इसलिए अब बड़ा फेरबदल होने वाला है. आखिर गांधी परिवार के वफादारों को कहीं से अंदेशा है जो वो अपने ही अंदाज में सोनिया से बदलाव की गुहार लगा रहे हैं. शायद ये एक स्क्रिप्ट के तहत ही हो रहा है, जिससे बाद में सोनिया पर सवाल ना उठें और आसानी से राहुल की ताजपोशी हो सके. लेकिन अहम बात जो है वो खुलकर बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा, वो ये कि राहुल की कार्यशैली और उनका अंदाज कैसे बदलेगा और नई टीम में इन सीनियर नेताओं की जगह होगी या नहीं. यही वजह है कि नई टीम में जगह पाने की कवायद में बयानबाजी हो रही है.

Advertisement
Advertisement