बीजेपी को कर्नाटक में करारी शिकस्त मिली है. बीजेपी अध्यक्ष बनने के बाद राजनाथ सिंह के नेतृत्व में पार्टी ने पहला चुनाव लड़ा और उसे मुंह की खानी पड़ी. उधर बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी कर्नाटक विधानसभा चुनाव के प्रचार में उतारा, लेकिन उनका जादू भी यहां नहीं चला. यानी बीजेपी अध्यक्ष के साथ ही मोदी भी कर्नाटक में बीजेपी की भ्रष्ट सरकार की नैय्या पार नहीं लगा सके.
कर्नाटक चुनाव परिणाम के मुख्य अंश | विधानसभा क्षेत्र के अनुसार परिणाम
विधानसभा चुनाव की मतगणना के मुताबिक बीजेपी तीसरे नंबर पर आती दिख रही है. पार्टी केवल 39 सीटों पर सिमटती दिख रही है. मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार हालांकि, उत्तरी कर्नाटक की हुबली-धारवाड़ मध्य सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं लेकिन कई कद्दावर नेता वहां हार की कगार पर खड़े हैं.
आलम यह है कि वर्तमान उप मुख्यमंत्री के. एस. ईश्वरप्पा सहित कई मंत्री पीछे भी चल रहे हैं. ईश्वरप्पा शिमोगा सीट पर पीछे चल रहे हैं. उनके अलावा कानून मंत्री एस. सुरेश कुमार बेंगलुरू के राजाजीनगर और मुरुगेश निरानी उत्तरी कर्नाटक के बागालकोट जिले के बिलागी विधानसभा क्षेत्र में पिछड़ रहे हैं. यानी कुल मिलाकर बीजेपी का यहां सूपड़ा साफ हो गया है.
बीजेपी के पास 1985 में यहां 2 विधानसभा सीटें मिली थीं. जबकि पार्टी ने 1994 में यहां 40 सीटों पर जीत दर्ज की थी. 1999 में हुए चुनावों में उसे 44 सीटों से संतोष करना पड़ा था जबकि 2004 में उसे 79 सीटें मिली थीं. 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी अभूतपूर्व जीत दर्ज कर किया और 110 सीटें जीत कर सत्तासीन हुई थी. तब पार्टी ने पांच निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से राज्य में पहली बार सरकार बनाई थी. लेकिन पार्टी की गलत नीतियों और लगातार लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच तीन बार मुख्यमंत्री को बदलने का पूरा खामियाजा उसे भुगतना पड़ा.
इतना ही नहीं वहां के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगे और उन्हें जेल भी जाना पड़ा. इसके बाद उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. येदियुरप्पा ने बाद में कर्नाटक जनता पार्टी (केजेपी) का गठन किया और आज वही येदियुरप्पा इस चुनाव में बीजेपी के गले की हड्डी बन गए. येदियुरप्पा की पार्टी वैसे तो इस विधानसभा चुनाव में केवल 8 सीटों पर जीत दर्ज करती दिख रही है लेकिन इतना तय है कि केजेपी ने बीजेपी के वोट बैंक में जबरदस्त सेंध लगाई है और बीजेपी की हार के एक बड़े कारक बने हैं.
अब इसी साल चार राज्यों दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव और उसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं. तो ऐसे में यक्ष प्रश्न यह है कि क्या राजनाथ सिंह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी आगामी चुनावों में कुछ कारनामा कर पायेगी?