लोकसभा में विपक्ष की ओर से पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर जोरदार बहस में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सदन में किसी भी पार्टी के पास अकेले हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की ताकत नहीं है और यही कारण है कि कई पार्टियों को मिलकर यह प्रस्ताव लाना पड़ा. साथ ही उन्होंने कांग्रेसी सांसदों की ओर से देश में लिंचिंग की घटनाओं के जिक्र के जवाब में कहा कि मॉब लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना 1984 में हुई थी.
अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि हमारे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाली पार्टियां जनता के विश्वास को पढ़ नहीं पा रही हैं. विपक्ष भी जानता था कि हमारे पास सदन में बहुमत है और प्रस्ताव गिर जाएगा, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री और पार्टी का मानना था कि स्वस्थ लोकतंत्र में विपक्ष की भी अहमियत होती है इसलिए हमने फैसला लिया कि विपक्ष की इच्छा है तो हमें अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि विपक्षी दल भी इस सच्चाई को स्वीकार करेंगे कि हमारे प्रधानमंत्री ने 4 साल में अतंरराष्ट्रीय जगत में भारत की प्रतिष्ठा को बढ़ाने का काम किया है.
प्रस्ताव लाने से पहले समझना होगा
राजनाथ सिंह ने बहस में भाग लेते हुए आगे कहा कि बीते 30-35 साल में किसी भी दल को देश में स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हुआ और पहली बार किसी गैर कांग्रेसी सरकार को स्पष्ट बहुमत हासिल हुआ है. इस बात को प्रस्ताव लाने वाले दलों को समझना चाहिए. जिस देश के पीएम की अपील पर करोड़ों लोगों ने एलपीजी पर मिलने वाली सब्सिडी छोड़ दी, उसके खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बैठे हैं. ऐसे नेता जिसकी अपील इतनी बढ़ी है, उसके खिलाफ प्रस्ताव पर चर्चा के लिए बैठे हैं.गृह मंत्री ने विपक्षी गठबंधन की एकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर विपक्षी गठबंधन में नेतृत्व की चर्चा हो जाए तो 'गई भैंस पानी में' जैसा हो जाएगा और सारा गठबंधन टूट जाएगा. यह प्रस्ताव सदन का विश्वास किसी भी सूरत में हासिल नहीं कर सकता. आज हमारे देश की अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ रही है और इस सच्चाई को आईएमएफ और बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों ने भी स्वीकार किया है.
राजनाथ सिंह ने कहा कि यूपीए सरकार में जीडीपी और महंगाई दर बराबर हुआ करती थी, लेकिन आज जीडीपी दर ऊपर जा रही जबकि महंगाई दर नीचे जा रही है. आज भारत दुनिया के देशों में निवेश के लिए सबसे बेहतर जगह है. विश्व की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री भारत में लगी है. विपक्ष के मित्र संशय की स्थिति में हैं. गठबंधन को लेकर, उसके नेता को लेकर साथ ही नीतियों को लेकर भी संशय है. टीडीपी सांसद हंगामा कर रहे हैं और गृहमंत्री से आंध्र प्रदेश पर बयान देने की मांग कर रहे हैं.
उनके इस बयान के बाद लोकसभा में सपा सांसदों ने हंगामा करते हुए कहा कि वो फैक्ट्री समाजवादी सरकार लेकर आई है. इसके कुछ देर बाद सदन की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई.
मॉब लिंचिंग पर सहयोग को तैयार
देश में भीड़ द्वारा पीट-पीट कर मार डालने (मॉब लिंचिंग) जैसी घटनाओं को लेकर विपक्ष के आरोपों पर जवाब देते हुए राजनाथ ने कहा कि मॉब लिंचिंग आजाद भारत के इतिहास की सबसे बड़ी घटना 1984 में घटी, तब कांग्रेस के एक नेता ने कहा था कि जब बड़ा पेड़ गिरता है तब धरती हिलती है. हम मॉब लिंचिंग पर सभी राज्य सरकारों से सहयोग को तैयार हैं और इसके लिए कड़े कानून बनाने की जरूरत है.
मॉब लिंचिंग पर बोलते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि यह घटनाएं नहीं होनी चाहिए और कड़ाई से इस पर कार्रवाई हो. केंद्र की ओर से जो भी मदद हो सकती है हम करने को तैयार हैं. इस पर कानून की जरूरत होगी तो वो भी बनाएंगे. उन्होंने कहा कि देश में मॉब लिंचिंग की सबसे बड़ी घटना 1984 में हुई है. सिख समुदाय के हालात देखिए हम उन्हें न्याय दिलाकर ही रहेंगे. ऐसे लोग आज हमें मॉल लिंचिंग पर पाठ पढ़ा रहे हैं.
'हिंदू तालिबान' शब्द पर नाराजगी
अपने संबोधन में उन्होंने 'हिंदू तालिबान' शब्द पर भी विपक्ष को तलाड़ा और कहा कि क्या हम पाकिस्तान की जेहनियत को आज भी भारत में जिंदा रखना चाहते हैं. पश्चिम बंगाल के एक मंत्री ने कहा कि हमारे क्षेत्र में मिनी पाकिस्तान है. सारे देश को मिलकर इसका मुकाबला करना चाहिए.
किसानों को लेकर हाल में किए गए कई बड़े फैसलों की जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने किसानों के पक्ष में बहुत अच्छा फैसला किया है. हमारे प्रधानमंत्री की नीयत पर कोई सवाल नहीं उठा सकता. क्या किसी ने कभी सोचा था कि धान की एमएसपी अचानक 200 रुपए बढ़ जाएगी. यह काम कोई कर सकता है कि एक गरीब मां की कोख से जन्मा हमारा प्रधानमंत्री कर सकता है.
बहस के दौरान अपने भाषण का समापन करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि राहुल गांधी ने सदन के अंदर ही चिपको आंदोलन शुरू कर दिया और कोई आकर ऐसे गले मिले, यह ठीक नहीं है. इसके बाद गृहमंत्री ने अपना भाषण खत्म कर किया. हालांकि कांग्रेस सांसदों ने उनके इस बयान पर कड़ी आपत्ति जताई. लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी राहुल गांधी के मोदी के गले मिलने को सही नहीं ठहराया.