प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक राष्ट्र एक चुनाव पर चर्चा के लिए बुधवार को एक सर्वदलीय बैठक की, लेकिन निर्वाचन आयोग के सूत्रों ने कहा है कि यह विचार फिलहाल संभव नहीं है. एक पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने भी कहा कि यह प्रस्ताव जितना उचित है, उतना ही अनुचित भी है.
निर्वाचन आयोग के एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि यदि यह विचार संभव होता तो आयोग ने इस साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए होते. निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव सात चरणों में कराए थे, जो 11 अप्रैल से शुरू हुआ था और 19 मई तक चला था. चुनाव परिणाम 23 मई को घोषित हुए थे. सूत्रों ने यह भी कहा कि एकसाथ चुनाव कराने में कानून-व्यवस्था का मुद्दा बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है, क्योंकि केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की संख्या सीमित है. उन्होंने यह भी कहा कि देश में 90 करोड़ से अधिक मतदाता हैं और एक साथ चुनाव की तैयारी करना फिलहाल काफी कठिन काम है.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक देश एक चुनाव के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई. इसमें कई पार्टियां शामिल हुई तो कई राजनीतिक दलों ने इसका बहिष्कार भी किया. वहीं बैठक खत्म होने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव के मुद्दे के विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के लिए एक कमेटी का गठन किया जाएगा. राजनाथ सिंह ने बताया कि संबंधित लोगों से बात करने के बाद कमेटी का गठन किया जाएगा. उस कमेटी के लिए समय सीमा निर्धारित की जाएगी.
राजनाथ सिंह ने कहा कि एक देश एक चुनाव का अधिकांश दलों ने समर्थन किया, केवल लेफ्ट नेताओं ने इस मुद्दे पर कुछ आशंका व्यक्त की और पूछा कि यह कैसे होगा. यह बैठक पांच सूत्री एजेंडे पर थी. सदन के कामकाज में वृद्धि, एक देश एक चुनाव, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती जैसे मुद्दों पर बात हुई. उन्होंने कहा कि 21 पार्टियां बैठक में शामिल हुईं. 3 राजनीतिक दलों ने लिखित में अपनी राय दी.