अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने से पहले कॉलेज के प्रोफेसर रह चुके राजनाथ सिंह बीजेपी के दूसरी बाद अध्यक्ष नियुक्त हुए. पार्टी में राजनाथ सिंह के कद का पता इस बात से चलता है कि इससे पहले यह उपलब्धि केवल अटल बिहारी वाजपेयी और लाल कृष्ण आडवाणी के पास ही था. बनारस के पास चंदौली जिले में जन्मे राजनाथ एक कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते रहे हैं.
बीजेपी के मातृ संगठन के रूप में मशहूर आरएसएस से राजनाथ की करीबी जगजाहिर है. आरएसएस के साथ उनके बेहतर रिश्ते का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण के बाद संघ ने राजनाथ को ही पार्टी के अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी.
कम लोगों को ही पता होगा कि 10 जुलाई 1951 को जन्मे राजनाथ ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी विषय में प्रोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की है. उसके बाद 1971 में केबी डिग्री कॉलेज में वह प्रोफेसर नियुक्त किए गए.
इमरजेंसी के दौरान कई महीनों तक जेल में बंद रहने वाले राजनाथ सिंह को 1975 में जन संघ ने मिर्जापुर जिले का अध्यक्ष बनाया.
यूपी में शिक्षा मंत्री के तौर पर किए गए कामों को लेकर आज भी राजनाथ सिंह का फैसला काबिल-ए-तारीफ है. 1991 में उन्होंने बतौर शिक्षा मंत्री एंटी-कॉपिंग एक्ट लागू करवाया था. साथ ही वैदिक गणित को तब सिलेबस में भी शामिल करवाया था.
अपने सभी भाषण हिंदी में देने वाले राजनाथ सिंह 20 अक्टूबर 2000 में राज्य के मुख्यमंत्री बने. हालांकि उनका कार्यकाल 2 साल से भी कम समय के लिए रहा. केंद्र में जब वाजपेयी की अगुवाई वाली एनडीए की सरकार बनी तब राजनाथ सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था. उन्होंने यूपी के बेरोजगारी की समस्या और उसके निदान नामक एक पुस्तक भी लिखी है.
अपने कामों को बखूबी और अंजाम तक पहुंचाने वाले राजनाथ से बीजेपी उम्मीद करेगी कि वह 2014 में पार्टी के चुनाव चिन्ह कमल को होर्डिंग बोर्ड से निकालकर आम जनता के दिलों में भी खिला पाएगी.