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गडकरी बाहर, राजनाथ का बीजेपी अध्‍यक्ष बनना तय

तेजी से बदलते नाटकीय घटनाक्रम के बीच अपनी कंपनी में संदिग्ध निवेश के आरोपों का सामना करने वाले नितिन गडकरी को मंगलवार रात बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर होना पड़ा और राजनाथ सिंह इस पद के लिए आमसहमति की पसंद के रूप में सामने आए.

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तेजी से बदलते नाटकीय घटनाक्रम के बीच अपनी कंपनी में संदिग्ध निवेश के आरोपों का सामना करने वाले नितिन गडकरी को मंगलवार रात बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर होना पड़ा और राजनाथ सिंह इस पद के लिए आमसहमति की पसंद के रूप में सामने आए.

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देर रात घटनाक्रम में गडकरी ने एक बयान जारी करके बुधवार को बीजेपी अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनाव से हटने की घोषणा करते हुए कहा कि वह नहीं चाहते कि उनके खिलाफ वित्तीय अनियमितता के लगे आरोपों का पार्टी के हितों पर प्रतिकूल असर पड़े.

उन्होंने कहा, ‘इसलिए मैंने बीजेपी अध्यक्ष पद के दूसरे कार्यकाल के लिए दावेदारी नहीं करने का फैसला किया है.’ पार्टी सूत्रों ने कहा कि बीजेपी संसदीय बोर्ड की बुधवार साढ़े नौ बजे बैठक होगी जिसमें राजनाथ के नाम का अनुमोदन किया जाएगा और वह सुबह साढ़े ग्यारह बजे अपना नामांकन पत्र दाखिल करेंगे.

राजनाथ के नजदीकी सूत्रों ने कहा कि वह इस बात को लेकर खुश हैं कि पार्टी ने उनमें अपार विश्वास जताया है और लोकसभा चुनावों के मद्देनजर उनके समक्ष एक चुनौतीपूर्ण कार्य है. बासठ वर्षीय राजनाथ सिंह, गडकरी से पहले वर्ष 2009 तक बीजेपी अध्यक्ष रहे हैं. बीजेपी के शीर्ष नेताओं की मंगलवार रात जल्दबाजी में बुलाई गई बैठक में राजनाथ का नाम पार्टी अध्यक्ष पद के लिए नई पसंद के रूप में सामने आया.

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इस बैठक में शामिल बीजेपी के शीर्ष नेताओं में सुषमा स्वराज, अरुण जेटली, एम वेंकैया नायडू और संघ के प्रति राम लाल मौजूद थे. गडकरी को दूसरी बार बीजेपी अध्यक्ष बनाये जाने के बिल्कुल खिलाफ रहने वाले लालकृष्ण आडवाणी राजधानी दिल्ली से दूर थे और उन्होंने मुंबई के पास एक स्थान पर गडकरी के साथ एक कार्यक्रम में हिस्सा लिया. इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे से एक शब्द भी नहीं बोला जो कि दोनों के बीच के रिश्ते में आये ठंडेपन को दर्शाता है.

राजनाथ सिंह को संघ का नजदीकी माना जाता है और ऐसा लगता है कि उन्होंने संतुलन अपने पक्ष में कर लिया. बीजेपी में आपत्तियों के बावजूद संघ पार्टी अध्यक्ष पद की उम्मीदवारी के लिए गडकरी के नाम को आगे बढ़ा रहा था. पूर्ती मामले के उजागर होने के बाद गडकरी की दावेदारी का कुछ दिनों से विरोध कर रहे वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने मंगलवार को पार्टी से नामांकन पत्र और मतदाता सूची लेकर यह संकेत दिया था कि वह गडकरी को निर्विरोध नहीं चुने जाने देंगे. मगर गडकरी के इस्तीफे के बाद उन्होंने भी खुद को दौड़ से बाहर बताया.

सिन्हा के इस कदम ने उम्मीदवारी पर परिवर्तन करने को बाध्य किया. पूर्ती मामला सामने आने पर पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी गडकरी को दूसरा कार्यकाल दिये जाने के खिलाफ थे और वह उनकी जगह सुषमा स्वराज या किसी अन्य को अध्यक्ष बनाये जाने की पैरवी कर रहे थे.

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मुंबई में गडकरी ने कहा कि उनके खिलाफ लगाये गए आरोपों का उद्देश्य उनकी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाना है. उन्होंने दिल्ली रवाना होने से पहले मुंबई हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, ‘मैं प्रतिबद्ध कार्यकर्ता के रूप में पार्टी की सेवा करता रहूंगा. मैं नहीं चाहता कि मेरे खिलाफ लगाये गए आरोपों का पार्टी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े.’

उन्होंने कहा, ‘मेरे खिलाफ आरोप हैं और मैं उनसे बेदाग बाहर आना चाहता हूं. मैं इन आरोपों से राजनीतिक और कानूनी दोनों तरह से निपट लूंगा. बाहर रहने (बीजेपी अध्यक्ष पद की दौड़) का निर्णय पूर्ण रूप में मेरा है.’ गडकरी ने कहा कि वह किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हैं. ‘मैं किसी भी जांच का सामना करने को तैयार हूं. मैंने अपनी पार्टी को सूचित कर दिया है कि मैं तब तक कोई पद ग्रहण नहीं करुंगा जब तक मैं निर्दोष साबित नहीं हो जाता. बीजेपी का जो कोई भी अध्यक्ष बने मैं उसे अपना पूरा सहयोग दूंगा.’

इससे पहले गडकरी ने एक बयान में कहा था, ‘जब मेरे खिलाफ आरोप लगाये गए तो मेरे लिए एक राजनीतिक चुनौती थी और मैंने निर्णय किया कि इन आरोपों की एक जांच होनी चाहिए. जब तक मेरा नाम बेदाग सामने नहीं आता मैंने इस पद पर नहीं रहने का फैसला किया है. इसलिए मैंने दूसरी बार अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया.’

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उन्होंने कहा, ‘जांच चलेगी और मुझे इस बात का पक्का विश्वास है कि मैं निर्दोष बाहर आऊंगा. मेरा भ्रष्टाचार से कुछ लेना देना नहीं है. मैंने खुद ही अपना नाम वापस लेने का फैसला किया ताकि पार्टी के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगे.’

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