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BJP ने सोनिया से पूछा- बताएं अपना राष्ट्रपति उम्मीदवार, विपक्ष ने दिया तीन 'स' वाला फॉर्मूला

कांग्रेस के सूत्रों का मानना है कि सरकार सर्वसम्मति बनाने की महज औपचारिकता निभा रही है वरना बिना नाम के ऐसी मुलाकात का क्या मतलब. लगता है सरकार अपना उम्मीदवार थोपना चाहती है.

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सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
सोनिया गांधी (फाइल फोटो)

राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए सरकार के दो वरिष्ठ मंत्रियों और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की तय मुलाकात दस जनपथ में हुई, तो चाय-नाश्ते और हाल चाल की औपचारिकता के तुरंत बाद वेंकैया नायडू और राजनाथ सिंह ने ऐसा सवाल दाग दिया कि, सोनिया आश्चर्य में पड़ गईं. चौंकते हुए सोनिया ने मुलाकात के दौरान मौजूद मल्लिकार्जुन खड़गे और ग़ुलाम नबी आजाद की तरफ ऐसी नजरों से देखा मानो वो कह रही हों कि, ये क्या सवाल है और वो भी मुझसे.

दरअसल, कांग्रेस ने ये तो रणनीति बना रखी थी कि या तो एनडीए के नेता उनसे बहुमत के आधार पर अपने उम्मीदवार का नाम बताए बिना समर्थन की मांग करेंगे और लोकतंत्र की औपचारिकता निभा देंगे. दूसरी ये कि सरकार के नुमाइंदे उनके सामने एक या एक से ज्यादा उम्मीदवारों के नाम रखकर सोनिया की पसंद जानेंगे.

लेकिन जैसे ही सरकार के नुमाइंदों ने सोनिया गांधी से पूछा कि राष्ट्रपति के तौर पर आपकी पसंद कौन है कृपया बता दीजिए, तो सोनिया का आश्चर्य में पड़ना लाजमी ही था. आजाद और खड़गे की तरफ देखने के बाद सोनिया ने जवाब दिया कि हम तो ये सोच रहे थे कि आप लोग नाम बताएंगे. इस पर राजनाथ और नायडू ने पलटकर कहा कि हम लोगों ने तो अभी तक नाम तय ही नहीं किया. इस पर तो मानो सोनिया को जोर का झटका धीरे से लगना ही था. तभी राजनाथ ने कहा कि हम चाहते हैं कि राष्ट्रपति का चुनाव सर्वसम्मति से हो. इस पर सोनिया ने जवाब दिया कि बिना नाम के आगे बात कैसे हो सकती है. इस पर सोनिया को जवाब मिला कि ठीक है नाम तय करके हम आपसे समर्थन मांगेंगे.

कांग्रेस के सूत्रों का मानना है कि सरकार सर्वसम्मति बनाने की महज औपचारिकता निभा रही है वरना बिना नाम के ऐसी मुलाकात का क्या मतलब. लगता है सरकार अपना उम्मीदवार थोपना चाहती है. लेकिन फिर भी विपक्ष तीन 'स' वाले फॉर्मूले के तहत ही सरकार के उम्मीदवार का समर्थन कर सकता है. जिसके तहत उम्मीदवार संविधान का जानकार, सेक्युलर मूल्यों में भरोसा रखने वाला और संसदीय लोकतंत्र में आस्था रखने वाला होना चाहिए.

ऐसे में तय है कि अगर सरकार अपनी विचारधारा वाले किसी शख्स को उम्मीदवार बनाती है तो विपक्ष भी उम्मीदवार उतारेगा. हालांकि, विपक्ष का कहना है कि हम जानते हैं कि आंकड़े सरकार के हक में है लेकिन लड़ाई तो विचारधारा की है.

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