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तीन तलाक पर कांग्रेस ने राज्यसभा में दिखाए तेवर, सरकार ने याद दिलाया वादा

सरकार की ओर से पेश ऐतिहासिक तीन तलाक बिल पर कांग्रेस ने राज्यसभा में यूटर्न लेते हुए सरकार के राह में रोड़े खड़े कर दिए हैं, मजबूर सरकार लोकसभा में कांग्रेस की ओर से किए गए वादे को याद दिला रही है.

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कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा
कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा

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उम्मीद के मुताबिक राज्यसभा में तीन तलाक बिल पर जमकर हंगामा हुआ और सदन की मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने जमकर बहस की मांग की. सरकार की ओर से ऊपरी सदन में बुधवार को तीन तलाक बिल पेश किया गया, लेकिन कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जल्दबाजी में इसे पास कराना चाहती है.

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने दोपहर बाद मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक-2017 पेश किया. उन्होंने बिल पेश करने के दौरान कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया था जबकि वह अब राज्यसभा में इसे रोकना चाहती है.

कांग्रेस के पूर्व मंत्री आनंद शर्मा ने राज्यसभा में तीन तलाक पर बहस करते हुए इस बिल को सेलेक्ट कमिटी के पास भेजने की मांग की. साथ ही उन्होंने विपक्षी पार्टियों के सदस्यों के नाम उपसभापति को दिए जो सेलेक्ट कमिटी में होंगे. इनमें 3 कांग्रेस के भी थे. उन्होंने कहा, "सरकार अपने सदस्यों के नाम सुझाए. ये सेलेक्ट कमिटी बजट सत्र के दौरान अपने सुझाव सौंपेगी." उनका कहना था कि सरकार पहले संशोधनों को स्वीकार करें और फिर बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजें.

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आनंद शर्मा ने 3 तलाक पर कुछ संशोधनों का भी प्रस्ताव रखा. जबकि सरकार बिना किसी संशोधन के ही इसे सदन से पास कराना चाह रही है, जिसको लेकर सदन में जमकर हंगामा हुआ और उपसभापति ने कार्यवाही गुरुवार तक स्थगित कर दी.

बहस के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से तलाक-ए-बिद्दत को अवैध ठहराने के बाद सरकार पर इस बात का दबाव है कि इस पर नए सिरे से कानून बनाया जाए. अगर इस बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाता है तो इसे पास होने में 6 महीने का और वक्त लगेगा. उन्होंने कहा कि हम बहुत से मुस्लिम महिलाओं के निवेदन पर ही काम कर रहे हैं.

उनके इस बयान के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक भी हुई. विपक्षी सांसदों ने कानून मंत्री का यह कहते हुए विरोध किया कि वो बहस में हस्तक्षेप कर रहे हैं. आनंद शर्मा ने कहा कि सदन को महिलाओं की गरिमा का ख्याल रखता है, लेकिन बिल में अभी और बहस की दरकार है.  

दूसरी ओर, कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्होंने (जेटली) सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख किया है. मैं रिकॉर्ड सही करना चाहता हूं क्योंकि मैं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB)  की ओर से कोर्ट में था. उस फैसले में कहा गया था कि 6 महीने की अवधि बिल पास होने की तारीख से मानी जाएगी.

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राज्य सभा के नेता जेटली ने बिल पर कहा कि कांग्रेस दो तरह से बात कर रही है. उन्होंने लोकसभा में कहा कि हम बिल का समर्थन करते हैं. पूरा देश देख रहा है कि एक सदन में वह बिल का समर्थन कर रही है, जबकि इस सदन में उसे गिराने की कोशिश कर रही है. उन्होंने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट बेंच ने 3 तलाक को 6 महीने के लिए अवैध करार दे दिया है. और इसकी डेडलाइन 22 फरवरी, 2018 तक है. हमने इस बिल को इस रोक को स्थायी करने के लिए पेश किया है."

सदन में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजा जाए या नहीं, इस पर हम मतदान चाहते हैं, जबकि सत्ताधारी सदस्य इस पर राजी नहीं हैं. ऊपरी सदन में भाजपा के पास बहुमत नहीं है."

आजाद ने कहा, "अगर सदन में बहुमत के विचार को नहीं सुना जाएगा तो फिर कहां सुना जाएगा" इसके बाद सदन का शेष सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया और इसे बृहस्पितवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया.

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