राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बुधावार को बताया कि अब सदन में 22 भाषाओं में सांसद अपनी बात रख सकते हैं. इससे पहले यह 17 भाषाओं में ही यह सुविधा हासिल थी लेकिन अब इसमें 5 नई भाषाओं को भी शामिल किया गया है.
यह ऐलान करते वक्त सभापित ने 22 में से 12 भाषाओं में खुद बोलते हुए कहा कि अब सांसद इन-इन भाषाओं में अपनी बात रख सकते हैं. मॉनसून सत्र के पहले सांसदों के लिए सभापति का यह ऐलान किसी खास तोहफे से कम नहीं था. नायडू ने कहा कि दूसरी भाषा में अपनी बात कहना आसान नहीं होता इसी को ध्यान में रखते हुए 5 और भाषाओं को शामिल किया गया है.
नायडू ने हालांकि कहा कि इसके लिए वक्ताओं को पहले ही नोटिस देना होगा. उन्होंने कहा कि शुरू में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है और अनुवादकों को वक्ता के बोलने की गति से सामंजस्य बैठाने में कुछ वक्त लग सकता है.
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राज्यसभा में पहले 17 भाषाओं के लिए अनुवाद की व्यवस्था थी. बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस कदम का स्वागत किया और संस्कृत के अधिकतम शब्दों का कोष बनाने का सुझाव दिया. नायडू ने घोषणा की कि राज्यसभा ने रवांडा के उच्च सदन के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं जिसका मकसद अंतर-संसदीय संपर्क को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि 66 साल में पहली बार राज्यसभा ने ऐसा कोई समझौता किया है. इससे पहले लोकसभा ही ऐसे समझौते करती थी.
बता दें कि सभापति नायडू खुद आंध्र प्रदेश से आते हैं और हिन्दी उनकी प्राथमिक भाषा नहीं है. आमतौर पर वह अंग्रेजी में ही बात करते हैं लेकिन सदन में उन्हें हिन्दी बोलते भी सुना जाता है. लेकिन इस बार उन्होंने पढ़ते हुए एक बाद एक 12 भाषाओं में अपनी बात कही. अलग-अलग भाषाई क्षेत्रों से आने वाले सांसदों ने भी सभापति के इस फैसले का स्वागत किया है.