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भारत-बांग्लादेश के बीच भूमि क्षेत्रों पर संविधान संशोधन को राज्यसभा की मंजूरी

भारत और बांग्लादेश के बीच कुछ बस्तियों और भूमि क्षेत्रों के आदान-प्रदान को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा ने सर्वसम्मति से अपनी मंजूरी दे दी.

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भारत की संसद
भारत की संसद

भारत और बांग्लादेश के बीच कुछ बस्तियों और भूमि क्षेत्रों के आदान-प्रदान को मंजूरी देने वाले ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को राज्यसभा ने सर्वसम्मति से अपनी मंजूरी दे दी. सरकार ने उम्मीद जताई कि इस कानून के लागू होने से इस पड़ोसी देश के साथ संबंध और प्रगाढ़ होंगे.

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उच्च सदन ने बुधवार को कांग्रेस और तृणमूल सहित सभी राजनीतिक दलों के समर्थन से संविधान (119वां संशोधन) विधेयक 181 के मुकाबले शून्य मत से पारित कर दिया.

विधेयक पारित होने से पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसके लिए पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि यह विधेयक पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के शासनकाल में लाया गया था.

सुषमा स्वराज ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु मुजीबुर्रहमान के बीच 1974 में जो समझौता हुआ था, वह 41 सालों के बाद इस विधेयक के माध्यम से साकार होने जा रहा है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच बस्तियों के आदान-प्रदान को लेकर 2011 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के शासनकाल में एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए थे. उसी प्रोटोकॉल के प्रावधानों को लागू करने के लिए यह विधेयक लाया गया है.

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सुषमा स्वराज ने माना कि पहले AGP और BJP ने भी इस विधेयक का विरोध किया था, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि असम के हितों की अनदेखी हुई है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस भी उस समय इसका विरोध कर रही थी. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने तृणमूल कांग्रेस की सारी चिंताओं को दूर किया है और आज वह इस विधेयक का पूरी तरीके से समर्थन कर रही है.

इनपुट: भाषा

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