उपसभापति पी जे कुरियन ने मंगलवार को ऐलान किया कि राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति अपनी उस रिपोर्ट पर फिर गौर करेगी जिसमें 2013 में अरुण जेटली के कॉल डाटा रिकॉर्ड को गैरकानूनी ढंग से हासिल करने के मामले को संसदीय विशेषाधिकार का हनन नहीं माना गया था.
इस समिति की अध्यक्षता करने वाले कुरियन ने कहा कि समिति सांसदों की फोन टैपिंग को इसमें शामिल करने के लिए अपने विचारणीय विषयों का दायरा बढ़ाने का काम स्वयं नहीं कर सकती. यह काम तभी हो सकता है जब सदन इस बारे में विचार करने के लिए कहे.
उन्होंने कहा कि चूंकि सदन में समिति की रिपोर्ट की समीक्षा करने के पक्ष में सर्वसम्मति है, समिति अपनी 61वीं रिपोर्ट की फिर से जांच करने के लिए प्रतिबद्ध है.
समिति की पिछले दिनों सदन में रखी गयी इस रिपोर्ट में कहा गया था कि भले ही कॉल डाटा रिकार्ड गैर कानूनी ढंग से हासिल करने का काम कानून की निगाह में अपराध और दंडनीय है लेकिन यह संसद सदस्य के कामकाज में इस तरह की कोई बाधा पैदा नहीं करता कि उनके संसदीय विशेषाधिकार का हनन हो.
कुरियन ने कहा कि सपा के नरेश अग्रवाल ने 7 मई को रिपोर्ट पर फिर से विचार करने का मुद्दा उठाया था जबकि कांग्रेस के आनंद शर्मा ने समिति के विचारणीय विषय का दायरा बढ़ाने का सुझाव दिया ताकि सांसदों की फोन टैपिंग और निगरानी का मुद्दा शामिल किया जा सके.
उन्होंने कहा कि समिति अपनी तरफ से मामलों को नहीं लेती. शर्मा नोटिस दे सकते हैं और सदन में इसके लिए प्रस्ताव पारित करवा सकते हैं या वह इसके लिए अलग से सभापति को नोटिस दे सकते हैं.
गौरतलब है कि 7 मई को सदन में जब यह मुद्दा उठा था तो उपसभापति ने इस मामले में अपनी व्यवस्था बाद में देने को कहा था.
(इनपुट: भाषा)