यूपी में प्रचंड बहुमत के बाद भारतीय जनता पार्टी के लिए राज्यसभा में सबसे बड़ी पार्टी बनने का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि, इसके बाद भी बीजेपी अभी बहुमत से दूर रहेगी. इसके बावजूद उच्च सदन में बीजेपी को बड़ी राहत मिली है. इसका असर यह होगा कि कई पुराने अटके बिल पास हो सकते हैं.
फिलहाल सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी को बीजेडी और एआईएडीएमके जैसी पार्टियों के समर्थन की ज़रूरत पड़ेगी, लेकिन अगले एक साल में राज्यसभा में उसके सांसदों की संख्या बढ़ जाएगी. इस बढ़त का सबसे बड़ा असर यह भी होगा कि चार महीने बाद यानी जुलाई में राष्ट्रपति चुनाव में अपने पसंद का प्रत्याशी चुन सकेगी. संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में 2018 में रिटायर होने वाले 68 सांसदों में से 58 सांसद अप्रैल 2018 में ही रिटायर हो जाएंगे. इनमें से 10 सांसद उत्तर प्रदेश से हैं.
इसके अलावा 1 सांसद उत्तराखंड से भी है. यूपी विधानसभा चुनाव 2017 में ताबड़तोड़ जीत के बाद बीजेपी के पास राज्यसभा में अपने सांसद बढ़ाने का यह बडा मौका आया है. मौजूदा स्थिति देखें तो राज्यसभा में एनडीए के पास 73 सांसद हैं और यूपीए के खाते में 71 सांसद दर्ज हैं. बहुमत का आंकड़ा 123 का है.
विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद राज्यसभा में बीजेपी के सांसदों की संख्या 10 और बढ़ जाएगी. हालांकि मणिपुर और पंजाब के विधानसभा चुनाव राज्यसभा के मौजूदा आंकड़ों में कोई फर्क नहीं करेंगे, क्योंकि वहां साल 2019 से पहले कोई सीट खाली नहीं हो रही है. इस साल राज्यसभा की एक सीट गोवा में खाली होगी. ग़ौरतलब है कि यूपी में साल 2018 में राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव होने हैं.
राज्यसभा में यूपी की तरफ से मनोनीत सदस्यों पर नज़र डालें तो मायावती के पास 2, अखिलेश यादव के पास 6 जबकि बीजेपी और कांग्रेस के पास एक-एक सदस्य है. विधानसभा चुनाव 2017 में ताबड़तोड़ जीत के बाद बीजेपी दस में से 6 सीटें जीत सकती है और इसके उलट समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ेगा.