देश की राजधानी दिल्ली में लोग बंदरों से परेशान हैं, बंदरों के आतंक इतना ज्यादा है कि यह मुद्दा राज्यसभा में भी उठाया गया. राज्यसभा सांसद सीपी ठाकुर ने अपने दिल्ली निवास पर बंदरों की चहल कदमी और उनके आतंक का मुद्दा उठाया, जिसपर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने बताया कि उपराष्ट्रपति निवास में भी काफी बंदर हैं जिससे कई तरह की परेशानियां होती है. उन्होंने कहा कि मेनका गांधी यहां नहीं हैं, दिल्ली में बंदरों के उत्पात को लेकर सरकार को कोई हल निकालना चाहिए.
वहीं आईएनएलडी के रामकुमार कश्यप ने कहा कि दिल्ली में बंदरों की समस्या बढ़ गई है. बंदरों की वजह से गीले कपड़ों को घर से बाहर सुखाना मुश्किल हो गया है. बंदर या तो कपड़े फाड़ देते हैं या फिर उन्हें लेकर भाग जाते हैं. उन्होंने कहा कि बंदर घर में लगे पेड़-पौधे भी तोड़ देते हैं. रामकुमार ने बताया कि एक बार तो एक सांसद बैठक के लिए लेट हो गए थे क्योंकि बंदरों ने उनपर अटैक कर दिया था, साथ ही उनके बेटे पर भी हमला किया था.
बता दें कि दिल्ली में बंदरों का कहर इतना ज्यादा है कि संसद भवन और सांसदों के निवास के आसपास लगभग पूरी लुटियन दिल्ली में कई वीवीआईपी इलाकों में बंदर उत्पात मचाते हैं. कई बार तो एनडीएमसी इनको भागने के लिए टीम भी गठित कर चुकी है लेकिन उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली. बंदरों को भगाने के लिए एनडीएमसी के कर्मचारी अलग- अलग तरीके के हथकंडे अपनाते हैं, गुलेल के जरिये भी इनको भगाने की कोशिश की जाती है.
कुछ साल पहले एनडीएमसी ने बंदर भगाने की एक टीम भी बनाई थी उसके बावजूद बंदरों पर लगाम नहीं लगी. एनडीएमसी कुछ साल पहले लंगूरों को प्रशिक्षित करके लुटियन दिल्ली की इमारतों में दाखिल होने वाले बंदरों को भगाने का काम किया करते थे, लेकिन जब लंगूरों को एक संरक्षित जानवर घोषित कर दिया गया तब से एनडीएमसी के कुछ प्रशिक्षित व्यक्ति बंदरों की तरह कपड़े पहनकर उन्हें भगाने का काम करते हैं लेकिन इन सबके बाद भी बंदरों का कहर बरकरार है.