1984 बैच के सीनियर आईपीएस राकेश अस्थाना को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का डायरेक्टर जनरल बनाया गया है. उन्हें इस विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है. वह फिलहाल ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीएसीएस) के डायरेक्टर जनरल हैं. अब उनके पास नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो का भी प्रभार होगा. इससे पहले राकेश अस्थाना सीबीआई विवाद में सुर्खियों में रह चुके हैं. राकेश अस्थाना सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर रहे हैं.
उन्होंने और पूर्व सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के एक-दूसरे पर घूस लेने के आरोप लगाए थे. पिछले साल अक्टूबर में सीबीआई ने तत्कालीन सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ रिश्वत लेने का केस दर्ज किया था. अस्थाना पर मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से मामले का निपटारा करने के लिए घूस लेने का आरोप लगाया गया था. सीबीआई ने कहा था कि हैदराबाद के सतीश बाबू साना की शिकायत के बाद राकेश अस्थाना, देवेंद्र और दो अन्य व्यक्ति, मनोज प्रसाद और सोमेश्वर प्रसाद के खिलाफ 15 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई. सीबीआई का आरोप था कि दिसंबर 2017 से अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत ली गई.
इसके बाद अस्थाना ने खुद पर लगे रिश्वत के आरोप में गिरफ्तारी से अंतरिम राहत और एफआईआर निरस्त करने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया. वहीं केंद्र सरकार ने आलोक वर्मा से सीबीआई डायरेक्टर का प्रभार वापस ले लिया और नागेश्वर राव को प्रभार सौंपा. डायरेक्टर पद से हटाए जाने का आलोक वर्मा ने विरोध किया और वह सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. कोर्ट ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए वर्मा को पद पर बहाल करने का आदेश दिया.
इसके बाद 10 जनवरी को पीएम नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली तीन सदस्ययी समिति ने 2-1 के बहुमत से आलोक वर्मा को सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटा दिया. उन्हें डीजी फायर सर्विस का पदभार सौंपा गया था, जिसे ग्रहण करने से उन्होंने इनकार कर दिया. वहीं 18 जनवरी को सीबीआई स्पेशल डायरेक्टर का कार्यकाल खत्म करने के अगले ही दिन सरकार ने उन्हें नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) का नया महानिदेशक नियुक्त किया. उनका कार्यकाल दो साल का होगा. इस पद को अस्थायी रूप से डीजी स्तर का बनाया गया है.