मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया को प्रमोशन देकर भले ही डीजी होमगार्ड बना दिया गया हो, लेकिन बताया जाता है कि वह एंटी करप्शन ब्यूरो यानी एसीबी के डीजी बनना चाहते थे.
एक अंग्रेजी अखबार ने महाराष्ट्र गृह विभाग के सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि मारिया ने मंत्रालय के पूछे जाने पर इस ओर इच्छा जाहिर की थी. राज्य में डीजी पुलिस के बाद एसीबी डीजीपी को सबसे प्रतिष्ठित समझा जाता है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा राज्य सरकार मारिया को पूर्व सरकार का करीबी मानती है इसलिए उन्हें मनचाहा विभाग नहीं मिला.
गौरतलब है कि महाराष्ट्र एसीबी वर्तमान समय में एनसीपी नेता अजीत पवार, छगन भुजबल और सुनील तटकरे के खिलाफ भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की जांच कर रही है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तय समय से पहले मारिया की पदोन्नती और तबादले का फैसला इस ओर किसी नए विवाद से बचने के लिए किया गया.
प्रमोशन का गणित और एसीबी
बताया जाता है कि 30 सितंबर को 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी संजीव दयाल महाराष्ट्र डीजीपी पद से रिटायर हो रहे हैं. ऐसे में उनके बैचमेट प्रवीण दीक्षित डीजीपी पद के लिए स्वत: प्रतियोगी बन जाते हैं. प्रवीण इस वक्त एसीबी चीफ हैं. उनके बाद वरिष्ठता और उम्र के लिहाज से मारिया का नंबर आता है.
सूत्रों के मुताबिक, राकेश मारिया 1981 बैच के अधिकारी हैं, जबकि उनकी जगह जिन अहमद जावेद को मुंबई पुलिस कमिश्नर बनाया गया है वह 1980 बैच के अधिकारी हैं. यानी राज्य सरकार के इस फैसले से अब एसीबी चीफ की दौड़ में मारिया के साथ और भी नाम जुड़ गए हैं, क्योंकि अब एसीबी चीफ पद के लिए 1980 बैच के सतीश माथुर, मीरन बोरवंकर और विजय कांबले का नंबर भी आता है.