महाराष्ट्र की भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद अब राजनीति जारी है. एक तरफ जहां जिग्नेश मेवाणी ने शुक्रवार को मीडिया को संबोधित करते हुए पीएम मोदी पर निशाना साधा तो वहीं महाराष्ट्र के दलित नेता रामदास अठावले ने जिग्नेश के आरोपों को खारिज किया.
अठावले ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, मुझे लगता है कि जिग्नेश मेवाणी अभी चुनकर आए हैं, लेकिन इस तरह कहना कि भाजपा सरकार में दलितों पर अत्याचार हो रहा है यह बिल्कुल गलत है.
अठावले ने कहा कि दलितों पर अत्याचार जातिवाद की वजह से होते रहे हैं. कांग्रेस की सरकार, समाजवादी की सरकार और बसपा की सरकार में भी दलितों पर अत्याचार हुआ है तो इस तरह से भाजपा की सरकार में अत्याचार होने की बात कहना सही नहीं है. अठावले ने कहा कि पुणे में हुए अत्याचार पर पीएम मोदी ने कहा था कि गुस्सा आता है तो मुझे गोली मारो. बीजेपी ने भी भीमा कोरेगांव का खंडन किया है और उनके मुख्यमंत्री ने जांच भी करवाई है.
उन्होंने कहा कि बाबा अंबेडकर की फिलॉसफी दो समाज को इकट्ठा करने की फिलॉसफी है. अत्याचार खत्म करने की फिलॉसफी है. बीजेपी और जिग्नेश भी इसका निषेध करते हैं. इस तरह के अत्याचार पर सियासत करने की बजाय खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए. उन्होंने कहा सीएम ने जांच के आदेश दिया हैं, जहां पर हमला हुआ उसमें जिग्नेश मेवाणी का कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने कहा कि जिग्नेश मेवाणी के भाषण से कोई दंगा नहीं हुआ. हालांकि जिग्नेश का भाषण भड़काऊ था लेकिन उसकी वजह से कोई दंगा नहीं हुआ. अठावले ने कहा कि जिग्नेश मेवाणी को ज्यादा सियासत नहीं करनी चाहिए.
गौरतलब है कि मेवाणी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से महाराष्ट्र हिंसा पर बयान देने की मांग की. उन्होंने कहा कि देश में दलित सुरक्षित नहीं हैं. प्रधानमंत्री की दलितों के प्रति कोई प्रतिबद्धता है या नहीं. खुद को अंबेडकर का भक्त बताने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी जुबान खोलें.
मेवाणी ने कहा कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद वेमुला, ऊना, सहारनपुर और अब भीमा-कोरेगांव में दलितों को निशाना बनाया गया है. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप्पी साधे हुए हैं. समय आ गया है कि केंद्र अपनी स्थिति साफ करें. भीमा कोरेगांव में दलित शांतिपूर्ण रैली निकाल रहे थे, जब उन पर हमला किया गया.