बीजेपी संसदीय दल की बैठक में पार्टी के नेता राम जेठमलानी अपनी ही पार्टी और पार्टी के नेताओं पर जमकर बिफरे. सूत्रों के मुताबिक जेठमलानी ने आरोप लगाए कि पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार पर ठीक से हल्ला नहीं बोल रही.
जेठमलानी ने पार्टी के आला नेताओं पर सरकार के साथ होने के आरोप लगाए. जेठमलानी बिफरे तो सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू जैसे नेताओं ने उन्हें बताया कि उनकी नाराजगी जायज नहीं है.
सूत्रों की मानें तो जेठमलानी ने खुद को पार्टी से निकालने की चुनौती दे डाली. बैठक के दौरान जेठमलानी ने जोर देकर कहा, 'भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी लड़ाई बहुत पुरानी है.'
वहीं, संसदीय दल की बैठक के बाद बीजेपी ने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि रेल मंत्री और कानून मंत्री को इस्तीफा देना होगा. तभी संसद में गतिरोध खत्म होगा.
यह पहला मौका नहीं है जब राम जेठमलानी ने अपनी पार्टी नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है. नरेंद्र मोदी की पीएम उम्मीदवारी का मुद्दा हो या फिर सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति का मसला जेठमलानी अक्सर ही अपनी ही पार्टी के गले की फांस बने हैं.
गौरतलब है कि पिछले साल 25 नवंबर को राम जेठमलानी को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. यह निलंबन राम जेठमलानी के उस बयान के बाद किया गया था जिसमें उन्होंने सीबीआई निदेशक की नियुक्ति को जायज ठहराया था. साथ ही पार्टी नेतृत्व को कार्रवाई करने की चुनौती तक दी थी. दरअसल, जेठमलानी ने सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा की नियुक्ति की आलोचना करने के लिए अपनी ही पार्टी पर हमला बोल दिया था.