मसरत रिहाई मामले से नाराज बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर के सीएम मुफ्ती मोहम्मद सईद के सामने लक्ष्मण रेखा खींच दी है. बीजेपी महासचिव राममाधव ने बुधवार को जम्मू में मुफ्ती से मुलाकात कर पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का संदेश सुनाया और कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर कायम रहने की नसीहत दी.
जम्मू-कश्मीर में सरकार गठन को लेकर बातचीत का जिम्मा संभालने वाले बीजेपी महासचिव राममाधव और मुफ्ती मोहम्मद सईद के बीच जम्मू के मुख्यमंत्री आवास पर ये मुलाकात करीब सवा घंटे तक चली. सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात में राममाधव ने मुफ्ती को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का सख्त संदेश सुनाया कि सरकार न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर ही चले. विवादित मुद्दों पर कोई बयानबाजी नहीं होनी चाहिए.
बैठक में ये तय हुआ कि आगे से जम्मू-कश्मीर सरकार कोई भी फैसला बीजेपी मंत्रियों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही लेगी. बताया जाता है कि इस मुलाकात में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राममाधव से साफ कहा कि मसरत की रिहाई सरकार बनने से पहले के आदेश से हुई है. इसमें उनकी सरकार का कोई लेना-देना नहीं.
गौरतलब है कि राममाधव और मुफ्ती के बीच अहम मुलाकात चल रही थी, उसी वक्त गृह मंत्रालय के आला अफसर मसरत रिहाई से जुड़े दस्तावेजों को खंगाल रहे थे. सूत्रों के मुताबिक जांच में पता चला है कि संबंधित अफसरों ने मसरत आलम को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत हिरासत में लेने की मंजूरी हासिल करने में देरी की. ये भी पता चला है कि मसरत की रिहाई में प्रशासन ने हैरतअंगेज रूप से जल्दबाजी दिखाई.
सूत्रों के मुताबिक सात मार्च को छुट्टी के दिन जम्मू के डीएम ने एसएसपी को लिखा था कि प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने मसरत के प्रिवेंटिव डिटेंशन की मंजूरी नहीं दी है. इस चिट्ठी के घंटे भर के भीतर मसरत को रिहा करने का आदेश जारी कर दिया गया, यहां तक कि शाम तक बारामुला जिला जेल तक रिहाई का आदेश भी पहुंच गया.
अब जांच इस बात की हो रही है कि क्या ये जानबूझकर हुआ. इस पर गृह मंत्रालय जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने वाली है.