देश की सर्वोच्च अदालत में आज से शुरू हो राम मंदिर की सुनवाई से ठीक पहले अखिल भारतीय हिंदू महासभा अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने उम्मीद जताई है कि फैसला उनके हक में आएगा. सुप्रीम कोर्ट आज इस बात पर अपना फैसला सुनाएगा कि राम मंदिर पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सु्प्रीम कोर्ट में चुनौती की सुनवाई फास्ट ट्रैक होगी या नहीं.
हिंदू महासभा अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि का कहना है की 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले से वह सहमत नहीं है, क्योंकि उन्हें लगता है कि हाईकोर्ट का फैसला एक सेटलमेंट था. स्वामी चक्रपाणि का कहना है कि उन्हें राम मंदिर मसले पर फैसला चाहिए कोई सेटलमेंट नहीं क्योंकि राम जन्मभूमि के पूरे प्रांगण में सिर्फ राम मंदिर बनाया जा सकता है.
मुस्लिम पक्षकारों द्वारा अदालत के फैसले के अनुवाद को लेकर स्वामी चक्रपाणि ने निशाना साधते हुए कहा कि यह सब बहानेबाजी है जिससे मुकदमे को लंबा खींचा जा सके.स्वामी चक्रपाणि ने यहां तक कह दिया कि 7 साल बाद भी मुकदमे का सर्वोच्च अदालत में आगे ना बढ़ पाना दुर्भाग्यपूर्ण है. चक्रपाणि ने आज तक से बातचीत में कहा कि, "मुस्लिम पक्षकार झूठ बोल रहे हैं और उनकी मंशा सिर्फ इस फैसले को टालने को लेकर है ताकि वह इस केस को लंबा कैसे करें. जबकि हाई कोर्ट के फैसले का हिंदी अंग्रेजी और उर्दू में अनुवाद करवा कर हमने सभी पक्षों के साथ सुप्रीम कोर्ट में भी दिया था."
हिंदू महासभा अध्यक्ष का आरोप है कि कुछ लोग इस विवाद को जानबूझकर बरकरार रखना चाहते हैं इसलिए वह कभी अलग अलग बहाने बना रहे हैं. अध्यात्म गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा राम मंदिर मसले पर मध्यस्थता करने के सवाल पर बोलते हुए हिंदू महासभा अध्यक्ष ने कहा कि श्री श्री रविशंकर की कोशिश एक सद्भावना बनाने की थी क्योंकि हम चाहते हैं कि राम मंदिर का निर्माण सद्भावना से हो.
सर्वोच्च अदालत में इस अहम फैसले से पहले आजतक से बातचीत करते हुए स्वामी चक्रपाणि ने कहा कि राम मंदिर मसले पर राजनीतिक हस्तक्षेप और टिप्पणियों से से माहौल खराब हुआ है. चक्रपाणि ने कहा कि इस देश की पहचान ही राम से है. उन्होंने यह भी कहा कि वह मुस्लिम समाज की भावनाओं का सम्मान करते हैं.