राम रहीम के जेल में जाने के बाद उसकी काली करतूतों से एक के बाद एक पर्दा उठता जा रहा है. अब तक कई साध्वियां बलात्कारी बाबा राम रहीम पर रेप का आरोप लगा चुकी है. 'आजतक' ने एक ऐसी ही साध्वी को ढूंढ निकाला है, जिसने डेरे में रहते हुए राम रहीम की गुफा में होने वाले साध्वियों के यौन शोषण को देखा. यही नहीं, वो खुद भी बाबा का शिकार होते-होते बची. उसने बताया कि राम रहीम एक खास जाम पिलाकर लड़कियों को वश में कर लेता था.
जिस साध्वी के बारे में हम आपको बता रहे हैं, वो 1999 से लेकर 2002 तक गुरमीत राम रहीम के डेरा सच्चा सौदा के साध्वियों के आश्रम में रही. उसने अपना नाम और पहचान गुप्त रखने की शर्त पर 'आजतक' को अपनी आपबीती बताई. पढ़ें पूरी बातचीत...
सवाल - आप कब से कब तक डेरे में रही और डेरे में जाकर रहने के पीछे क्या वजह थी?
जवाब - मैं 1999 से लेकर 2002 तक डेरे में रही. उसके बाद मैं वहां पर नहीं रही. मैंने अपने माता-पिता को भी बताया कि डेरे में ये गलत काम होते हैं, लेकिन मेरे माता-पिता ने कहा कि वहां पर ऐसा कुछ नहीं होता. हमें कहा कि डेरे पर ही रहे.
सवाल - आपके माता पिता ने आपको डेरे में क्यों भेजा था?
जवाब - हमारे मां बाप ने कहा था कि वहां पर आप रहोगे सेवा करोगे, धार्मिक काम करोगे और पढ़ाई भी करोगे. वहां जाने पर मेरी ड्यूटी गुफा के आसपास लगा दी गई. गुफा के अंदर लड़कियों को बुलाया जाता था और कहा जाता था कि तुम्हें माफी मिलेगी, लेकिन जब लड़कियां बाहर आती थी तो वो रोते हुए आती थी. जब हम लड़कियों से पूछते थे तो वो कुछ भी बताती नहीं थी. मैंने एक बार एक लड़की पर काफी दबाव डाला तो उसने सब बताया. लेकिन हम सबके मां-बाप ये बात नहीं मानते थे. जब साध्वियों की लिखित चिट्ठियां सामने आई तब हम में से कुछ लड़कियों को मां-बाप ने वापस घर बुला लिया. घर आने पर हमने अपने मां-बाप को सारी बात बताई कि गुफा में ये सब कुछ होता है. गुफा में एक जाम पिलाया जाता था और उसके बाद ये सब कुछ होता था. गुफा से हमने चीखने-चिल्लाने की आवाजें भी कई बार सुनी. गुफा के चारों ओर कमांडो और कुछ पुलिस वाले भी बाबा ने रखे हुए थे और वहां पर पुरुषों के साथ-साथ साध्वियों को भी डरा-धमका कर रखा जाता था. पिताजी सब को डरा कर रखते थे. एक साध्वी के भाई की हत्या भी कर दी गई थी इसी वजह से तमाम लड़कियां बेहद ही डर गई थी. लड़कियों को रात 11 बजे गुफा में बुलाया जाता था जो लड़की उन्हें अच्छी लगती थी उसको बुला लिया जाता था. लड़की अंदर चली तो जाती थी लेकिन बाहर आने पर मजबूरी की वजह से कोई भी लड़की कुछ नहीं बोलती थी. इधर-उधर की सुनी-सुनाई बात सबको नहीं पता लगती थी लेकिन जब दो साध्वियों ने चिट्ठियां लिखकर सबको बता दिया तो उसके बाद हमारे भी हौंसले बढ़ गए.
सवाल- आपने बताया कि आप 1999 से 2002 तक वहां रही है, तो इस दौरान आपने क्या देखा कि लड़कियों के साथ क्या होता था और क्या आपके साथ भी कभी कुछ ऐसा करने की कोशिश की गई?
जवाब- मुझे भी बुलाया था और कहां गया था कि पिताजी ने माफी देनी है और और मैं अंदर चली भी गई थी. लेकिन अंदर जाने पर जब मुझे सब पता लगा तो मैं किसी तरह से बाहर आ गई.
सवाल- जाम पीने से क्या होता था?
जवाब- वो पीने के बाद सब उन्हीं के हो जाते थे और दूसरी तरफ कोई नहीं जा पाता था. सिर्फ पिताजी के ही होकर रह जाते थे.
सवाल - आप अब तक चुप क्यों थीं?
जवाब - हम इसलिए चुप रहे कि कहीं ये हमारे किसी परिवार वाले को मार ना दे. किसी को ये ले बैठेगा इसी वजह से हम चुप रहे. परिवार हमारा सुखी ठीक था इसी वजह से हम चुप रहना ही ठीक समझते थे, लेकिन जब इन लड़कियों ने थोड़ी आवाज़ उठाई तो हम बाहर आ गए.
सवाल - जब 2002 में चिट्टियां बाहर आई, तब क्या आप के मां बाप ने आपकी बात मान ली थी?
जवाब - जी हां, फिर हमारे माता पिता ने हमारी बात मान ली थी.