सुप्रीम कोर्ट ने राम सेतु मामले में कहा है कि केंद्र सरकार को अपना रुख साफ करना होगा कि क्या रामसेतु की पहचान पुरातात्विक स्थल के रूप में हो या नहीं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 नवंबर को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को राम सेतु पर हलफनामा दर्ज करने के लिए 6 हफ्तों का समय दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र को यह स्पष्ट करना होगा कि क्या वे राम सेतु पुल को हटाना चाहती है या इसकी रक्षा करना चाहती है.
सेतुसमुद्रम परियोजना के लेकर विरोध
गौरतलब है कि सेतुसमुद्रम परियोजना के तहत, 83 किलोमीटर लंबे गहरे जल मार्ग का निर्माण किया जा रहा है. ये जल मार्ग मन्नार की खाड़ी को पाक स्ट्रेट के साथ जोड़ेगा. यह चैनल 12 मीटर गहरा और 300 मीटर चौड़ा होगा. इसमें आने और जाने दोनों का मार्ग होगा. इस परियोजना का कुछ राजनीतिक दल, पर्यावरणविद और कुछ हिंदू धार्मिक समूहों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है. सेतुसमुद्रम भारत और श्रीलंका के बीच तैयार होने वाली परियोजना है.
पेश किया था हलफनामा
2007 में आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने अपने हलफनामे में रामायण के पौराणिक चरित्रों के अस्तित्व को ही नकार दिया था. जिसके बाद धार्मिक और राजनीतिक विवाद बढ़ गया था. इसके चलते यूपीए सरकार ने 29 फरवरी 2008 को सुप्रीम कोर्ट में नया हलफनामा पेश किया था.