सरकार में मंत्रियों का काम है नीतिगत फैसले लेना और अफसरों का काम है उन फैसलों को लागू करना. लेकिन क्या अफसर इतने बेलगाम हो सकते हैं कि वो केन्द्र सरकार के कैबिनेट मंत्री की भी ना सुनें. बात सुनने में अजीब सी लगती है लेकिन उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने सार्वजनिक तौर पर नौकरशाही के सामने खुद को मजबूर माना. उन्होंने कहा कि कहा कि उपभोक्ता के हितों की रक्षा करने के लिए किये गये उनके फैसलों को लागू करने में अफसर कोताही बरत रहें है और बार-बार कहने के बाद भी सुन नहीं रहे हैं.
दिल्ली में सोमवार को मंत्रालय के तीन साल की उपलब्धियां गिनाने के लिए उपभोक्ता मंत्रालय की प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी. रामविलास पासवान एक के बाद एक अपने मंत्रालय के किए काम-काज का बखान कर रहे थे. लेकिन जब 'आजतक' संवाददाता ने पूछा कि पासवान के फैसले हवा-हवाई साबित हो रहे हैं और जमीन पर उनको लागू नहीं किया जा रहा है तो पासवान अपने अफसरों पर ही भड़क गए.
केंद्रीय मंत्री पासवान से पूछा कि उस फैसले का क्या हुआ जिसमें उनका मंत्रालय कंपनियों को ये निर्देश देने वाला था कि हर चीज पर उसकी मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट साफ-साफ और बड़े अक्षरों में लिखी जाए ताकि उपभोक्ता धोखा नहीं खाएं. पासवान ने नाराज होते हुए कहा कि वो यह कह चुके हैं कि खाने पीने की चीजों पर आईएसआई मार्क, मन्युफैक्चरिंग और एक्सपायरी डेट और मात्रा या वजन साफ-साफ लिखा जाए. लेकिन जाने क्यों अफसर बार-बार कहने के बाद भी इसको सख्ती से लागू कराने में हीला-हवाली कर रहे हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ही मंच पर मौजूद अपने मंत्रालय के अधिकारियों को कहा कि एक महीने के भीतर ये हर हालत में लागू हो जाना चाहिए.
चाहे खाने पीने की चीजों पर एक्सपायरी डेट लिखने का मामला हो, एमआरपी से ज्यादा कीमत वसूलने का, भ्रामक विज्ञापन या फिर रेस्त्रां में सर्विस चार्जेज वसूलने का, उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान के कई फैसलों को लेकर चर्चा तो खूब हुई लेकिन हकीकत में ज्यादा बदलाव नहीं हुआ. इस बारे में पूछने पर पासवान ने सिर्फ इतना ही कहा कि वो इतने सख्त कदम भी नहीं उठाना चाहते कि लोग कहने लगें कि पुलिस राज हो गया है.
पासवान ने सोमवार को बताया कि गरीब लोगों को अब राशन में फिर से चीनी दी जाएगी. सरकार ने फैसला किया है कि अंत्योदय योजना के तहत अब गरीब परिवारों को महीने में एक किलो चीनी फिर से दी जाएगी. मार्च से इसे बंद कर दिया गया था. इसके लिए केन्द्र सरकार प्रति किलो 18.50 रूपए की सब्सि़डी राज्यों को देगी.