अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर साधु-संतों की अहम बैठक होने जा रही है. बैठक में अयोध्या के साधु-संत, विश्व हिंदू परिषद, राम मंदिर न्यास के साथ-साथ अयोध्या आंदोलन से जुड़े साधु-संत शामिल होंगे. बैठक से पहले राम जन्मभूमि न्यास के कार्यकारी अध्यक्ष राम विलास वेदांती ने कहा कि मीटिंग में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा मध्यस्था की कोशिशों की समीक्षा होगी.
उन्होंने कहा कि साधु-संतों का मानना है कि मध्यस्थता फेल हो चुकी है. अब सिर्फ वहां राम जन्मभूमि पर मंदिर ही बन सकता है. उन्होंने कहा कि हम लोग पांच चरण में यह कार्यक्रम करेंगे. हमारी पहली मांग कश्मीर से शुरू हो रही है. वहां धारा 370 खत्म हो, 35A पर सरकार फैसला ले, उसके बाद राज्यसभा में बहुमत के साथ ही इस पर विधेयक लाया जाए. इसके अलावा अधिग्रहित 67 एकड़ जमीन राम जन्मभूमि न्यास को सौंपी जाए और वहां पर तराशे गए पत्थरों को रखा जाए. फिर भव्य राम मंदिर का निर्माण हो.
उन्होंने कहा कि राम मंदिर अगर अभी नहीं बनेगा तो कब बनेगा. इसलिए चरणबद्ध तरीके से मंदिर निर्माण कैसे हो इसके लिए मीटिंग की जा रही है और साधु-संत इस पर जल्द फैसला लेंगे.
अयोध्या मंदिर से जुड़े राम मंदिर न्यास के संत और महंत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमलनयन दास ने कहा कि अब मंदिर के लिए और इंतजार नहीं कर सकते देश ने इतना बड़ा बहुमत नरेंद्र मोदी को दिया है. फैसला जल्द होना चाहिए.
बीजेपी सांसद ने पीएम मोदी को लिखी थी चिट्ठी
इससे पहले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने पीएम मोदी से अनुरोध किया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में भूमि आवंटन करें और रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करें. मोदी को लिखे एक खत में स्वामी ने कहा कि सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिये जमीन आवंटन के लिए सुप्रीम कोर्ट से इजाजत लेने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहराव सरकार ने 1993 में इसे अधिग्रहित कर लिया था.