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6 साल के लिए निकाले गए रामगोपाल की 30 दिन में हुई घर वापसी के मायने

समाजवादी पार्टी ने रामगोपाल यादव को फिर से पार्टी में ले लिया है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को बयान जारी कर रामगोपाल की पार्टी में वापसी का ऐलान किया. रामगोपाल फिर से समाजवादी पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता बन गए हैं. रामगोपाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप में समाजवादी पार्टी से निकाल दिया गया था.

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रामगोपाल संग मुलायम यादव
रामगोपाल संग मुलायम यादव

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समाजवादी पार्टी ने रामगोपाल यादव को फिर से पार्टी में ले लिया है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने गुरुवार को बयान जारी कर रामगोपाल की पार्टी में वापसी का ऐलान किया. रामगोपाल फिर से समाजवादी पार्टी के महासचिव और प्रवक्ता बन गए हैं. रामगोपाल को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप में 13 अक्टूबर 2016 को समाजवादी पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया गया था. जानिए, रामगोपाल की वापसी की जरूरत मुलायम को क्यों पड़ी और इस वापसी के मायने क्या हैं?

शिवपाल को झटका
सपा कार्यकर्ताओं के बीच 'प्रोफेसर साहब' के तौर पर मशहूर रहे रामगोपाल यादव के प्रति मुलायम सिंह यादव के नरम रवैये से शिवपाल सिंह यादव को झटका जरूर लगा होगा. शिवपाल यादव ने ही रामगोपाल की समाजवादी पार्टी से बर्खास्तगी का ऐलान किया था. रिश्ते में एक दूसरे के चचेरे भाई रामगोपाल और शिवपाल यादव के बीच कड़वाहट जगजाहिर है. शि‍वपाल ने रामगोपाल पर बीजेपी से मिलकर समाजवादी पार्टी को अस्थिर और कमजोर करने का आरोप भी लगाया था. अखि‍लेश और शिवपाल के बीच पिछले दिनों सामने आई सियासी 'जंग' में रामगोपाल ने अखिलेश का समर्थन किया. रामगोपाल ने यहां तक कह दिया था कि नेताजी अपने बेटे की तरक्की से जलते हैं.

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पार्टी के लिए फायदेमंद
रामगोपाल की समाजवादी पार्टी में वापसी से यूपी की सत्तारूढ़ पार्टी को ही फायदा होगा. यूपी में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने जी-तोड़ मेहनत भी शुरू कर दी है. प्रदेश में समाजवादी पार्टी के पास मुख्यमंत्री अखि‍लेश यादव के तौर पर साफ-सुथरी छवि का नेता है तो जमीनी तौर पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और संगठन पर मजबूत पकड़ रखने वाले शि‍वपाल यादव हैं. ऐसे में केंद्र में रामगोपाल यादव ही एकमात्र नेता हैं जो यादव परिवार में सबसे ज्यादा पढ़ा लिखा होने के नाते समाजवादी पार्टी को रिप्रजेंट करता था.

संसद में ताने
बुधवार को नोटबंदी पर चर्चा के दौरान रामगोपाल यादव ने समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व किया और केंद्र सरकार की तैयारियों पर सवाल उठाए. रामगोपाल जब राज्यसभा में बयान दे रहे थे, उस वक्त कुछ पार्टियों ने पूछा भी कि वे किस पार्टी को रिप्रेजेंट कर रहे हैं. समाजवादी पार्टी के पास फिलहाल ऐसा कोई नेता नहीं है जो सदन में पार्टी का प्रतिनिधित्व कर सके. संसद का मौजूदा सत्र शुरू होने से पहले समाजवादी पार्टी के मुखि‍या ने भी राज्यसभा सचिवालय को इस बारे में औपचारिक तौर पर नहीं सूचना दी कि रामगोपाल यादव को पार्टी से 25 दिन पहले निकाल दिया गया था. ऐसे में मुलायम सिंह यादव को संसद में विरोधि‍यों के ताने से बचने के लिए रामगोपाल की पार्टी में वापसी का फैसला तत्काल करना पड़ा.

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तकनीकी पेच
गौरतलब है रामगोपाल यादव को समाजवादी पार्टी से निकाले जाने का ऐलान शिवपाल यादव की ओर से किया गया था. रामगोपाल उस वक्त समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे जबकि शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष थे. तकनीकी तौर पर देखा जाए तो पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष ही राष्ट्रीय महासचिव को बर्खास्त कर सकता है, पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं. शिवपाल सिंह ने उस वक्त प्रेस कांफ्रेंस में जो बयान पढ़ा था, उस कागज पर कहीं भी औपचारिक तौर पर मुलायम सिंह यादव यानी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के दस्तखत नहीं थे. केवल इतना कहा गया कि रामगोपाल मुलायम सिंह यादव के निर्देशों पर हटाए गए हैं. रामगोपाल को सपा से निकाले जाने का फरमान शि‍वपाल यादव के लेटरहेड पर जारी हुआ था. ऐसे में इस मसले पर तकनीकी पेंच फंसा हुआ था कि रामगोपाल वाकई समाजवादी पार्टी से बाहर किए गए हैं या नहीं.

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