बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से जुड़े साढ़े नौ सौ करोड़ रुपये के चारा घोटाले में गोड्डा कोषागार से लगभग 37 लाख रुपये अवैध रूप से निकालने के एक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने सोमवार को सजा सुनाई.
लालू के निकट सहयोगी पूर्व आरजेडी सांसद आर के राणा, लोकलेखा समिति के अध्यक्ष ध्रुव भगत और पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय निदेशक ओ पी दिवाकर समेत दोषी करार दिये गए 10 अभियुक्तों को चार से छह वर्ष तक कैद और दस लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा सुनाई गई है.
रांची में सीताराम प्रसाद की विशेष सीबीआई अदालत ने सोमवार को 1995-96 में पशुपालन विभाग से 37 लाख रुपये की अवैध निकासी के मामले में इन सभी लोगों को सजा सुनाई. अदालत इन्हें इस मामले में शुक्रवार को दोषी करार दे चुकी थी.
लालू के सहयोगी पूर्व सांसद आर के राणा और विधानसभा की लोकलेखा समिति के अध्यक्ष ध्रुव भगत को अदालत ने इस मामले में पांच-पांच वर्ष कैद और ढाई-ढाई लाख रुपये जुर्माने की सुजा सुनाई.
विशेष अदालत ने दुमका क्षेत्र के पशुपालन विभाग के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक ओ पी दिवाकर को इस मामले में छह वर्ष की कैद और 10 लाख जुर्माने की सजा सुनाई. अदालत ने चलंत पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अजीत कुमार सिन्हा को भी छह वर्ष की कैद और 10 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
इनके अलावा कोषागार अधिकारी राकेश कुमार सिन्हा को पांच वर्ष कैद और दो लाख रुपये जुर्माना, कोषागार लेखाकार बालकृष्ण दूबे को चार वर्ष कैद और एक लाख रुपये जुर्माना, कोषागार सहायक भानुकर दूबे को चार वर्ष कैद और एक लाख रुपये जुर्माना, आपूर्तिकर्ता राजेश कुमार सिन्हा को पांच वर्ष की कैद और चार लाख रुपये जुर्माना, बजट एवं लेखा पदाधिकारी ब्रज भूषण प्रसाद को पांच वर्ष कैद और पांच लाख रुपये जुर्माना, आपूर्तिकर्ता नरेश प्रसाद को चार वर्ष कैद और तीन लाख, बीस हजार रुपये जुर्माने की सुजा सुनाई.
इससे पूर्व सीबीआई द्वारा दर्ज इस आरसी 33ए-96 मामले में विशेष अदालत ने शुक्रवार को पूर्व सांसद आर के राणा, ध्रुव भगत और ओपी दिवाकर समेत दस आरोपियों को दोषी करार दिया था. अदालत ने जिन लोगों को इस मामले में दोषी करार दिया उन सभी को न्यायिक हिरासत में लेकर शुक्रवार को जेल भेज दिया गया.
इस मामले में अदालत ने गिरीश कुमार सिन्हा और महेन्द्र प्रसाद को साक्ष्यों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया था. इस मामले के अलावा राणा को चारा घोटाले के अन्य मामलों में भी दोषी करार दिया जा चुका है.
चारा घोटाले में कुल 63 मामले दर्ज किये गये थे, जिनमें से 41 मामले वर्ष 2000 में झारखंड प्रदेश के गठन के बाद यहां स्थानांतरित कर दिये गये थे. इनमें अनेक मामलों में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव स्वयं आरोपी हैं, लेकिन लालू के किसी भी मामले में अभी तक अदालत का फैसला नहीं आया है.