सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों वाली संविधान पीठ इस सप्ताह नहीं बैठेगी. यह पीठ भूमि अधिग्रहण मामले समेत कुछ अन्य महत्त्वपूर्ण मामलों की मंगलवार से सुनवाई करने वाली थी. सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर इस सूचना को प्रकाशित किया गया है. सूचना के मुताबिक चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में जिन मामलों की सुनवाई होने वाली थी उनकी सुनवाई को रद्द कर दिया गया है.
जस्टिस गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की भी सुनावाई करने वाली थी जिसमें सांसदों को संसद या विधानसभा में मतदान के बदले रिश्वत स्वीकार करने के मामलों में मुकदमे से छूट हासिल है.
नोटिस के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए 16 अप्रैल 2019 के पुराने नोटिस को हटा दिया गया है. नए नोटिस के मुताबिक संविधान पीठ 23 अप्रैल 2019 से शुरू हो रहे हफ्ते में नहीं बैठेगी. पुराने नोटिस में इस बात का जिक्र किया गया है कि संविधान पीठ 23 अप्रैल 2019 से प्रधान न्यायाधीश की अदालत में बैठेगी.
पुराने नोटिस के मुताबिक पांच न्यायधीशों वाली पीठ 23 अप्रैल से भूमि अधिग्रहण कानून, 2013 की धारा 24 के स्पष्टीकरण से जुड़े दो मामलों पर सुनवाई करने वाली थी. इन दो मामलों को संविधान पीठ के पास इसलिए भेजा गया था क्योंकि इससे पहले कोर्ट में दो दो जजों की पीठ ने इससे अलग मत रखा था.
गौरतलब है सुप्रीम कोर्ट की एक पूर्व महिला कर्मचारी ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला कर्मचारी ने शपथ पत्र देकर सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को आरोप लगाने वाला यह पत्र भेजा था. इस पूरे मामले की सुनवाई के लिए एक स्पेशल बेंच का गठन किया गया और शनिवार को इस मसले पर सुनवाई हुई.
बता दें इससे पहले चीफ जस्टिस गोगोई के खिलाफ एक महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. महिला के आरोपों पर शनिवार को सु्प्रीम कोर्ट में एक विशेष बेंच में इस मामले की सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस गोगोई ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया. उन्होंने कहा कि इसके पीछे कोई बड़ी ताकत है जो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के कार्याल को निष्क्रिय करना चाहते हैं.