इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के 'यंग एंड रेस्टलेस' सत्र में बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह, एलजेपी नेता चिराग पासवान, सितार वादक निलाद्रि कुमार और हिंदुस्तान पावरप्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के चेयरमैन रतुल पुरी ने हिस्सा लिया. सत्र की शुरुआत में सभी वक्ताओं ने युवाओं और उनके सपनों पर विचार रखे.
बॉलीवुड में अपनी किस्मत आजमा चुके चिराग पासवान ने साफ कर दिया कि वे राजनीति में लंबी पारी खेलने आए हैं. वहीं रणवीर सिंह को राजनीति बिल्कुल पसंद नहीं है. उन्होंने कहा कि इसमें बहुत गंदगी है. जहां तक बॉलीवुड का सवाल है तो यह एक जंगल है. तरह-तरह के जानवर हैं यहां और मैं अपनी लड़ाई लड़ रहा हूं.
लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान ने यह कहा कि सियासत में वे सबसे युवा नेताओं में से एक हैं. उनका मकसद युवाओं का विकास है. खासकर बिहार के युवाओं का जिनपर आज तक किसी राजनीतिक पार्टी ने ध्यान नहीं दिया.
बॉलीवुड अभिनेता रणवीर सिंह ने अपने संबोधन में कहा, 'हम सपने क्यों देखते हैं...पहचान के लिए. कॉन्क्लेव में कई बड़ी शख्सियतों के फोटो लगे हैं. मेरा भी यही मकसद है. एक दिन मेरी तस्वीर यहां होगी. हर किसी के दिल यही सपना होता है.'
चिराग पासवान ने कहा, 'फिल्म मेरी पहली पसंद थी. पर परस्थिति ऐसी नहीं आई. पार्टी की एक-दो मीटिंग में गया. फिर लगा कि यही मेरा भविष्य है. एलजेपी मौकापरस्त नहीं है. मैं एनडीए गठबंधन में जाना चाहता था. जबकि मेरे पिताजी यूपीए में बने रहना चाहते थे. पर बात नहीं बनी. गठबंधन को लेकर मतभेद था. कोई बातचीत नहीं हो रही थी. आखिरकार हमने बीजेपी के साथ जाना पसंद किया. हमारे कार्यकर्ता भी यही चाहते थे, हमारे अन्य नेताओं ने भी यही सुझाव दिया.'
क्या बॉलीवुड एक क्लब है? इस सवाल पर रणवीर सिंह ने कहा, 'बॉलीवुड एक जंगल के समान है. मैं अपनी लड़ाई लड़ रहा हूं. मुझे सुझाव तो मिले पर कोई मदद नहीं. मेरे दोस्तों ने मुझे हमेशा सही सुझाव दिए. आपको अपनी जगह बनानी पड़ती है. बस आपको मौके की तलाश में रहना चाहिए जैसे मिले, चौका जड़ दो. मुझे राजनीति पसंद नहीं. नफरत है मुझे इससे. बहुत गंदगी है. मैं सिर्फ डांस फ्लोर पॉलिटिक्स करता हूं. ताकि मुझे नाचने के लिए ज्यादा जगह मिल सके.'
देश में भ्रष्टाचार पर मचे हो हल्ला पर मोजरबेयर कंपनी के मालिक रतुल पुरी ने इशारों में अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा, 'हमें एक स्थिर सरकार चाहिए. चाहे बीजेपी हो या कांग्रेस. मैं किसी का समर्थन नहीं करता. महंगाई कम हो रही है. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है. अगली सरकार को बेहतर प्लेटफॉर्म मिलेगा, विकास के लिए. भ्रष्टाचार एक मुद्दा है, चुनौती भी है. पर इसे लेकर जो होहल्ला मचा है. मुझे ये नहीं पसंद. इससे नीति निर्धारण को नुकसान हुआ है. नौकरशाह फैसले लेने से डर रहा है. इसका असर विकास पर पड़ रहा है. रोजगार नहीं पैदा हो रहे हैं. बेरोजगारी बढ़ी है. अगर ऐसी स्थिति बनी रही तो हमारा हाल भी अरब क्रांति की तरह होगा.'
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