आज पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शरीक होने के लिये देश और विदेश से लाखों की संख्या में भक्तों की भीड़ जुटी है. यह यात्रा लकड़ी के बड़े विशाल और भव्य रथ पर भगवान जगन्नाथ और उनके बड़े भाई बलभद्र तथा उनकी बहन देवी सुभद्रा की मूर्तियों को लेकर निकाली जाती है.
रथ यात्रा पर भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई और देवी सुभद्रा की मूर्तियों को आरुढ करने से पहले विशेष तौर पर उनकी मंगलम आरती की जाती है और फिर भगवान को गर्भगृह से निकालकर उन्हें रथ पर आसीन कराया जाता है.
तीनों देवताओं को मंदिर के गर्भगृह से बाइस सीढियों को पार कराकर लाया जाता है और यह रस्म बैसी पहाचा कहलाती है. यह छोटी यात्रा मंदिर के शेर मुख के जरिये घंटा ध्वनि करके निकाली जाती है और यह रिवाज पहंडी कहलाता है. इस दौरान भक्त गण इसको करीब से देखने और भगवान की मूर्तियों को छूने के लिये लालायित रहते है.
इस समुद्री शहर में इस रथ यात्रा को देखने के लिये लोग आज सुबह से जमा हो रहे है जहां वे भगवान के तीन बड़े रथों का दर्शन करेंगे. इस यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिये बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गयी है.
यह मंदिर आम श्रद्वालुओं के लिये 11 जुलाई से खोल दिया गया है. इसमें देवताओं की मूर्तियां अंदर रखी होती है और स्नान पूर्णिमा के दिन इन देवताओं को कर्मकांड के अनुसार नहलाकर आम लोगो के दर्शन के लिये इसे खोल दिया जाता है. यह दर्शन की प्रक्रिया नबाजुबाना दर्शन कहलाती है.