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राठौड़ को कोई पछतावा नहीं: न्यायाधीश

बहुचर्चित रुचिका गिरहोत्रा यौन उत्पीड़न मामले में एस पी एस राठौड़ को 18 माह की सजा सुनाते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि हरियाणा के पूर्व डीजीपी को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है.

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बहुचर्चित रुचिका गिरहोत्रा यौन उत्पीड़न मामले में एस पी एस राठौड़ को 18 माह की सजा सुनाते हुए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि हरियाणा के पूर्व डीजीपी को अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है.

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अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश गुरबीर सिंह ने मंगलवार को 103 पृष्ठ के अपने फैसले में यह भी कहा, ‘‘इस मामले के प्रत्येक गवाह को एक न एक आरोप का सामना करना पड़ा और गवाहों को सुनियोजित तरीके से कानूनी उलझनों में उलझाने के प्रयास किए गए.’’ न्यायाधीश ने 68 वर्षीय राठौड़ की छह माह सश्रम कारावास की सजा को चुनौती देने संबंधी अपील खारिज करते हुए कहा कि कानूनी लड़ाई दो असमान पक्षों के बीच थी.

राठौड़ को 14 वर्षीय उभरती टेनिस खिलाड़ी रुचिका गिरहोत्रा का यौन उत्पीड़न करने का दोषी ठहराया गया था और छह माह की सजा सुनाई गई थी. राठौड़ ने इस फैसले को चुनौती दी थी जिसके बाद अदालत ने उसकी सजा बढ़ा कर 18 माह कर दी.

न्यायाधीश ने कहा ‘‘हालांकि दोषी, भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत अपराध के लिए निर्दिष्ट अधिकतम सजा पाने का हकदार हैं, लेकिन उसकी उम्र, स्वास्थ्य संबंधी पृष्ठभूमि, उसकी अविवाहित एवं दिल की बीमारी से ग्रस्त बेटी, उसका बेहतर सर्विस रिकार्ड तथा मामले की सुनवाई के दौरान 200 से अधिक तारीखों पर अदालत में उपस्थिति को देखते हुए मेरी राय है कि सजा का उद्देश्य तब पूरा होगा, जब दोषी को डेढ़ साल के सश्रम कारावास की सजा दी जाए. अन्यथा लोगों का न्याय प्रणाली पर से विश्वास उठ जाएगा.’’

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