हरियाणा के पूर्व पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौड़ को ‘बाड़ ही खेत खा गई’ का उदाहरण करार देते हुए कानून मंत्री वीरप्पा मोइली ने मंगलवार को कानूनों को कड़ा किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया ताकि यौन अपराधों से संबंधित मामले त्वरित गति से चल सकें.
मोइली ने कहा ‘बढ़ाई गई सजा से यह स्पष्ट संदेश जाएगा कि अपराध करने के लिए शक्ति और अधिकारों के इस्तेमाल का मतलब यह नहीं है कि सजा नहीं मिलेगी.’ उन्होंने कहा कि राठौड़ द्वारा शक्ति का दुरुपयोग किया जाना ‘बाड़ ही खेत खा गई..’ का उदाहरण है.
रुचिका गिरहोत्रा छेड़छाड़ मामले में एक सत्र अदालत ने राठौड़ की सजा की अवधि छह महीने से बढ़ाकर डेढ़ साल कर दी. राठौड़ को घटना के 20 साल बाद सजा मिली है. फैसले के बाद सीबीआई ने उसे गिरफ्तार कर लिया. मोइली ने कहा कि सजा लोगों के मन में ‘डर’ पैदा करेगी कि यदि उन्होंने इस तरह का अपराध किया तो ऐसा ही अंजाम होगा.
इस सवाल के जवाब में कि क्या 18 महीने की सजा पर्याप्त है उन्होंने कहा कि इस बारे में सीबीआई को फैसला करना है. ‘यह फैसला करना मेरा काम नहीं है कि क्या सजा पर्याप्त है, सजा न्यायाधीश ने बढ़ाई है.’ राठौड़ को सजा देने में हुए ‘विलम्ब’ को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा ‘कानून मंत्रालय के विधि विभाग ने यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत से कानूनों का मसौदा तैयार किया है कि ऐसे मामले तेजी से एक तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचें.’