जजों की नियुक्ति के लिए बने राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) को असंवैधानिक करार देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संसद की संप्रभुता पर सवाल खड़े हो गए हैं.
प्रसाद ने कहा, 'न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमारी सरकार का रुख साफ है. कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि हमारी सरकार और पार्टी में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने समय-समय पर आपातकाल के वक्त में न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया है. यह सरकार और न्यायपालिका के बीच टकराव नहीं है. पूरा फैसला पढ़ने के बाद ही हम इस मामले पर ठोस प्रतिक्रिया देंगे.'
केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ने कहा कि जजों की कमिटी और संसद की 3 स्थायी समितियों की रिपोर्ट में कॉलेजियम सिस्टम खत्म करने और NJAC बनाने की सिफारिश की गई थी. उन्होंने कहा, 'यह चर्चा 20 साल से चल रही है. इस विधेयक को बनाने के पहले मैंने 26 राजनीतिक दलों को लेटर लिखा और सबने NJAC का समर्थन किया. बाद में लोकसभा में सभी राजनीतिक दलों ने समर्थन किया और राज्यसभा में सिर्फ एक सांसद राम जेठमलानी ने वॉकआउट किया.' प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इस क्यों रद्द किया, उन कारणों को देखा जाएगा और कानूनी अधिकारियों से बात करके आगे की कार्यीवाही की जाएगी.
यहां बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को NJAC को असंवैधानिक करार देते हुए साफ कर दिया कि जजों की नियुक्ति पहले की तरह कॉलेजियम सिस्टम से ही होगी. केंद्र की मोदी सरकार ने अगस्त, 2014 में NJAC एक्ट बनाया था. यह एक्ट संविधान में संशोधन करके बनाया गया था.