बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने एक बार फिर रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन पर हमला किया है. स्वामी ने आरोप लगाया है कि रघुराज भारतीय अर्थव्यवस्था को तहस-नहस कर देंगे. बीजेपी नेता की मानें तो रघुराम राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था में एक 'टाइम बम' फिट कर दिया है और ये बम दिसंबर में फट जाएगा.
स्वामी का रघुराम राजन पर एक और वार
दरअसल स्वामी पिछले काफी दिनों से आरबीआई के गर्वनर रघुराम राजन के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं. उन्होंने रघुराम राजन को हटाने को लेकर पीएम मोदी को भी खत लिख चुके हैं. हालांकि सरकार की ओर स्वामी की मांग पर प्रतिक्रिया नहीं आई. पूर्व आईएमएफ चीफ पर ताजा हमले में स्वामी ने ट्वीट में लिखा, 'रघुराम राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था में साल 2013 में एक 'टाइम बम' फिट किया है और जो दिसंबर 2016 में फट जाएगा. क्योंकि बैंकों को 24 बिलियन डॉलर की राशि चुकानी होगी.'
बर्खास्तगी की मांग को लेकर पीएम को लिखी चिट्ठी
इससे पहले स्वामी से 26 मई को आरबीआई गर्वनर के खिलाफ 6 आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उन्हें तत्काल इस पद से बर्खास्त करने की मांग की थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि राजन ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर छोटे और मझोले उद्योगों का नुकसान किया. गवर्नर को ब्याज दर बढ़ाने और उसे ऊंचा रखने के नतीजों के बारे में समझना चाहिए था. उनकी यह नीति जानबूझकर थी, इसके पीछे मंशा राष्ट्र विरोधी थी.
रघुराम राजन के बयान पर पलटवार
इसके अलावा सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि रघुराम राजन अमेरिकन मल्टिनेशनल्स कंपनियों के इशारे पर काम कर रहे हैं जो भारत के नुकासनदेह है. असहिष्णुता को लेकर रघुरान के बयान पर भी स्वामी ने कटाक्ष किया था. साथ ही वाशिंगटन में एक कार्यक्रम में राजन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अंधों में काना राजा कहा था. जिसको लेकर स्वामी ने पलटवार करते हुए कहा था कि ये भारत सरकार का अपमान कर रहे हैं.
'पूरी तरह से भारतीय नहीं हैं रघुराम'
रघुरान राजन को हटाने की मांग को लेकर लिखी चिट्ठी में स्वामी ने आरोप लगाया था कि रघुराम राजन मानसिक रूप से पूरी तरह से भारतीय नहीं हैं और उन्होंने जानबूझ कर भारतीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है. स्वामी की मानें तो वो अमेरिका से भारत में ग्रीन कार्ड लेकर आए हैं, जो अमेरिकी सरकार ने उन्हें दिया है. गौरतलब है कि रघुराम राजन ने दिल्ली के एक स्कूल से पढ़ाई की थी और फिर अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने के बाद वो यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं और फिलहाल अवकाश पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर हैं.