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हाईकोर्ट ने टाटा-डोकोमो करार मामले में RBI की दखल याचिका खारिज की

टाटा और डोकोमो कंपनी के बीच हुए समझौते को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हस्तक्षेप याचिका (Intervention Petition) को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है.

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टाटा-डोकोमो करार
टाटा-डोकोमो करार

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टाटा और डोकोमो कंपनी के बीच हुए समझौते को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की हस्तक्षेप याचिका (Intervention Petition) को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. दरअसल आरबीआई ने 1.17 अरब डॉलर के नुकसान के मामले में जापानी दूरसंचार कंपनी एनटीटी डोकोमो और टाटा संस के बीच हुए समझौते को नियमों का उल्लंघन बताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

दिल्ली हाईकोर्ट ने लंदन कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन (LCIA) में हुए समझौते को लेकर डोकोमो के पक्ष में दिए गए मुआवजा के फ़ैसले को सही ठहराया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि आरबीआई को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार ही नहीं है. दरसअल, डोकोमो और टाटा मध्यस्थता के लिए एलसीआईए में चले गए थे, क्योंकि भारतीय कंपनी को अपने संयुक्त उद्यम टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) में जापानी दूरसंचार कंपनी के 26.5 फीसदी हिस्सेदारी के लिए खरीदार नहीं मिल पाया था.

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शेयर होल्डिंग में हुए इस समझौते के तहत पांच साल के भीतर डोकोमो के व्यवसाय से बाहर निकलने पर टाटा को खरीददार खोजना था, जो अधिग्रहण मूल्य के न्यूनतम 50 फीसदी हिस्से पर जापानी कंपनी की हिस्सेदारी खरीद ले. प्रति शेयर ये 58.45 रुपये थे. दूसरा विकल्प जो दोनों कंपनियों के बीच समझौते में हुआ, उसके मुताबिक टाटा उचित बाजार मूल्य पर शेयरों को खरीदेता, जोकि प्रति शेयर 23.44 रुपये थे.

डोकोमो ने इसे स्वीकार नहीं किया और उसने मध्यस्थता का विकल्प चुना था. जून 2016 में एलसीआईए ने शेयर होल्डिंग समझौते के मुताबिक खरीदार को खोजने के लिए टाटा की असमर्थता के लिए डोकोमो के पक्ष में 1.17 अरब डालर मुआवजा देने का फैसला सुनाया, लेकिन आरबीआई ने टाटा को भुगतान करने की इजाज़त देने से इनकार कर दिया. इसके बाद फिर डोकोमो ने इस राशि के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

जिस पर आरबीआई ने हस्तक्षेप याचिका दायर की. आरबीआई ने याचिका में आपत्ति जताते हुए कहा था कि शेयर धारक का समझौता अवैध था और नुकसान के रूप में भुगतान पर उसे आपत्ति है. इसी याचिका का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. 15 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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