आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) की तरफ झुकाव के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाए जाने की कोशिश के मामले देश में हाल के वर्षों में बढ़े हैं. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने ऐसे 28 केस दर्ज किए और 127 लोगों को गिरफ्तार किया. कुछ केस में चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और कुछ में जांच अभी जारी है.
एनआईए के आईजी आलोक मित्तल ने एंटी टेरर स्क्वॉड (एटीएस) और स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की नेशनल कॉन्फ्रेस में कहा, 'पहला जिहादी केस नवंबर 2014 में दर्ज किया गया. अब तक 28 केस दर्ज किए जा चुके हैं.'
अलग-अलग मॉड्यूल्स की जांच से जानकारी
मित्तल ने कहा, 'अलग-अलग मॉड्यूल्स की जांच से पता चला कि स्थानीय भर्ती किए गए लोगों के तार सीरिया या इराक या अन्य किसी बाहरी देश से जुड़े थे. गिरफ्तार किए गए कुछ लोगों ने ये भी बताया कि मलेशिया में बैठे जाकिर नाइक के उकसाने वाले भाषणों को सुनकर वो कट्टरपंथ की ओर मुड़े. नाइक से पूछताछ के लिए 'लेटर ऑफ रोगेटरी' (स्थानीय कोर्ट की ओर से विदेशी कोर्ट को आग्रह) पहले ही जारी किया जा चुका है.'
14 राज्यों से 127 लोग हुए गिरफ्तार
मित्तल ने बताया, 'जो 28 केस दर्ज किए गए, वो 14 राज्यों से जुड़े हैं. जो 127 लोग गिरफ्तार हुए, उनमें सबसे ज्यादा 33 तमिलनाडु से हैं.' एटीएस/एसटीएफ की नेशनल कॉन्फ्रेंस में एक पूरा सत्र जिहादी आतंकवाद के खतरे से निपटने पर केंद्रित था. एक सत्र नक्सलवाद की चुनौती पर भी था.
दो दिन की इस नेशनल कॉन्फ्रेंस में ये भी बताया गया कि करीब दस राज्य नक्सलवाद से ग्रस्त हैं. प्रभावित क्षेत्रों में लोगों में दहशत फैलाने के लिए नक्सलवादी संगठित ढंग से फंडिंग जुटाते हैं.
'चौथ वसूली में भी पीछे नहीं नक्सलवादी'
मित्तल ने कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा, 'एनआईए को ऐसे मामलों की जांच के दौरान पता चला है कि नक्सलवादी अपनी गतिविधियों के लिए फंडिंग से जहां भारी रकम जुटा रहे हैं. वहीं, चौथ वसूली में भी पीछे नहीं हैं. इस तरह जुटाए गए पैसे को नक्सलवादियों की ट्रेनिंग के अलावा हथियार और विस्फोटक सामग्री खरीदने पर खर्च किया जाता है.'
एनआईए ने जांच में ये भी पता लगाया कि कुछ नक्सलवादियों ने जमीन की खरीद, इमारतों के निर्माण में ऐसे पैसे को लगा रखा है. दो दिन की नेशनल कॉन्फ्रेंस में बिहार और ओडिशा के डीजीपी ने भी हिस्सा लिया.