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दिल्ली में बलात्कार व छेड़छाड़ की घटनाओं में आई कमी: पुलिस

दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के लिए असुरक्षित मानी जाने वाली दिल्ली पिछले साल उनके लिए खासी सुरक्षित रही. पुलिस के मुताबिक इस साल महिलाओं के साथ अपराधों, बलात्कार और छेड़खानी के मामलों में भी कमी आई.

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दिल्ली पुलिस के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं के लिए असुरक्षित मानी जाने वाली दिल्ली पिछले साल उनके लिए खासी सुरक्षित रही. पुलिस के मुताबिक इस साल महिलाओं के साथ अपराधों, बलात्कार और छेड़खानी के मामलों में भी कमी आई.

दिल्ली पुलिस की वाषिर्क रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2009 में बलात्कार के मामलों में पिछले साल के मुकाबले तीन फीसदी की गिरावट आई, वहीं कुल मामलों में से लगभग 94.25 फीसदी मामले सुलझ गए. रिपोर्ट में कहा गया है कि छेड़छाड़ के मामले में भी 2008 में जहां 597 मामले दर्ज हुए, वहीं पिछले साल कुल 532 ही मामले दर्ज हुए.

राजधानी के 35 पुलिस थानों में बलात्कार का एक भी मामला सामने नहीं आया. छेड़छाड़ के मामलों के संबंध में पुलिस की रिपोर्ट कहती है कि कुल मामलों के 47 फीसदी में आरोपी पड़ोसी थे, जबकि चार फीसदी में दोस्त, छह फीसदी में रिश्तेदार और सिर्फ पांच फीसदी में कोई अजनबी आरोपी था. दिल्ली पुलिस आयुक्त वाय एस डडवाल ने कहा कि इस सफलता का एक अहम कारण अश्लील फोन कॉल विरोधी शाखा की स्थापना करना है.

उन्होंने बताया कि शाखा में अब तक 12,108 फोन आ चुके हैं, जिनमें से अब तक 11,625 मामलों में सुनवाई के बाद शिकायतकर्ता संतुष्ट हैं. दिल्ली पुलिस की रिपोर्ट में इस बात की भी जानकारी दी गई है कि दिल्ली में ज्यादातर हत्याएं छोटी-छोटी बातों पर उकसावे के कारण होती हैं. वहीं हत्या के लगभग 94 फीसदी आरोपी पहली बार अपराध करने वाले हैं.

डडवाल के मुताबिक ज्यादातर मुद्दे बहुत तुच्छ होते हैं, जिनमें बस के पायदान पर खड़े होना या किसी स्टॉल से पहले शिकंजी लेना तक भी शामिल हो सकता है. डडवाल ने एक वाषिर्क पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा ‘‘दिल्ली में संगठित अपराध नहीं है. अनाम से चेहरे अपराध कर रहे हैं.’’

उन्होंने कहा कि डकैती, चेन झपटने और अपहरण के ज्यादातर मामलों में आरोपी पहली बार अपराध करने वाले थे, जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था. फिरौती के लिए अपहरण करने वाले अपराधियों में से भी ज्यादातर पहली बार अपराध करने वाले थे. डडवाल ने इसके लिए अलग-अलग तरह की जनसंख्या और देश के विभिन्न भागों से आ रहे लोगों को जिम्मेदार ठहराया.

डडवाल ने कहा ‘‘पीसीआर वैन किसी भी दुर्घटनास्थल पर पहुंचने वाली वैन हैं, दुर्घटना के ज्यादातर मामलों में यही वैन पीड़ितों को अस्पताल पहुंचाती हैं.’’ उन्होंने बताया कि इस साल पीसीआर सर्विस को 2,057 फोन छात्रों और बच्चों से, 7,646 महिलाओं से और 2,708 वरिष्ठ नागरिकों से मिले.

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