सरकार ने शनिवार को जीएसटी काउंसिल की बैठक में कई सामानों पर 28 प्रतिशत टैक्स घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया, जबकि कुछ प्रदेशों की सरकारों ने सरकार के इस कदम का विरोध किया है. इन सरकारों का मानना है कि 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब को 18 प्रतिशत करने से राज्यों को मिलने वाले टैक्स में कमी आएगी.
सरकारी सूत्रों ने 'इंडिया टुडे' को बताया कि शनिवार को आयोजित 31वें जीएसटी बैठक में कांग्रेस ने सरकार के उस प्रस्ताव का विरोध किया, जिसमें 28 प्रतिशत टैक्स को घटाकर निचले टैक्स स्लैब में लाने की तैयारी है. बीजेपी के एक सूत्र ने कहा, 'अब हम जानना चाहते हैं कि गब्बर सिंह कौन है. ये कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों की दोमुंही बातें हैं. सार्वजनिक तौर पर ये पार्टियां मांग करती हैं कि 28 प्रतिशत का टैक्स स्लैब खत्म किया जाना चाहिए और सभी सामान कम टैक्स में रखे जाने चाहिए. जबकि जीएसटी काउंसिल की बैठक में कांग्रेस, टीएमसी, सीपीएम और आम आदमी पार्टी ने टैक्स कटौती का विरोध किया.'
जीएसटी काउंसिल की बैठक में 6 सामानों को 28 प्रतिशत टैक्स के दायरे से बाहर करने का फैसला लिया गया. बैठक से पूर्व 28 प्रतिशत के दायरे में 34 चीजें थीं. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 'जीएसटी रेट कटौती से सरकारी राजस्व पर 5500 करोड़ रुपए का असर पड़ेगा.' जो आइटम्स 28 प्रतिशत के दायरे से बाहर निकले हैं उनमें खास हैं- 32 इंच तक टीवी सेट, लिथियम पावर बैंक, वीडियो गेम्स, डिजिटल कैमरा, री-ट्रेडर रबर, छोटे स्पोर्ट्स आइटम्स आदि. दिव्यांगों के लिए उपयोग में आने वाले सामानों पर से 28 प्रतिसत टैक्स हटाकर 5 कर दिया गया है. हालांकि यह फैसला काफी हंगामेदार रहा.
सूत्रों की मानें तो जीएसटी काउंसिल के अधिकारियों ने जैसे ही टैक्स घटाने का प्रस्ताव आगे बढ़ाया, विरोध में सबसे पहले केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक आगे आ गए. बैठक में उन्हें यह कहते हुए सुना गया कि किसी भी चीज पर टैक्स नहीं घटाया जाना चाहिए क्योंकि अभी यह उचित समय नहीं है. इसाक का साथ पुडुचेरी के मुख्यमंत्री वी नारायणसामी ने दिया जो फिलहाल वहां वित्त का प्रभार संभाल रहे हैं.
सूत्रों ने बताया कि कर्नाटक के वित्त मंत्री (वहां कांग्रेस-जेडीएस की सरकार है) ने भी इसाक का समर्थन किया. बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने भी टैक्स दर घटाने का विरोध किया. मित्रा मीटिंग में यह कहते हुए सुने गए कि ऐसे अनुचित वक्त पर टैक्स घटाने का फैसला लिया जाता है तो केंद्र को भी राज्यों को मिलने वाली क्षतिपूर्ति की अवधि बढ़ानी चाहिए. आम आदमी पार्टी ने भी सरकार के इस कदम का विरोध किया.
बैठक में शामिल एक नेता ने बताया कि पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत बादल ने अपना स्टैंड न्यूट्रल रखा. दिलचस्प बात यह है कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान की नई सरकार ने अपना कोई मंत्री नहीं भेजा और अधिकारियों को बैठक में शामिल कराया. जबकि मध्य प्रदेश के नवनिवार्चित मुख्यमंत्री कमलनाथ ने न तो मंत्री भेजा और न ही कोई अधिकारी.
बीजेपी शासित प्रदेश के एक वित्त मंत्री ने कहा, 'टैक्स में कटौती का प्रस्ताव रोकने की कांग्रेस और अन्य पार्टियों की कोशिश उनके उस स्टैंड के खिलाफ है जिसके तहत वे सार्वजनिक ढंग से टैक्स घटाने की मांग करती रही हैं.' बिहार के डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी और असम के वित्त मंत्री हेमंत बिस्वसर्मा के हवाले से एक सूत्र ने इंडिया टुडे को बताया कि 'विपक्षी दलों ने टैक्स कटौती का विरोध किया और ज्यादा राजस्व कमाई का समर्थन किया.'
इस बीच विपक्षी दल शासित एक प्रदेश के वित्त मंत्री ने कहा कि 'जीएसटी काउंसिल की बैठक में शुरू से इस बात पर जोर दिया जाता रहा है कि मंत्री अपनी बात आजादी से रख सकते हैं. कई राज्यों को इस पर ऐतराज है कि केंद्र और बीजेपी शासित प्रदेश आम चुनाव को देखते हुए जीएसटी घटाने का प्रस्ताव कर रहे हैं. यह कदम राजनीति से प्रेरित है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि 99 प्रतिशत चीजें कम टैक्स के दायरे में रखी जाएंगी. प्रधानमंत्री इसका श्रेय खुद लेना चाहते हैं. '