कोलकाता हाईकोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस सांसद तापस पाल के खिलाफ 72 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है. साथ ही कोर्ट ने सीआईडी को कोर्ट की निगरानी में मामले की जांच करने का निर्देश दिया. महिलाओं के खिलाफ तापस के बयान को कोर्ट ने ‘अपमानजनक’ और सभ्यता की सारी हदों को पार करने वाले बताया.
जज दीपांकर दत्ता ने पाल के बयान की सीआईडी जांच की मांग करने वाली याचिका पर अपना आदेश सुनाते हुए सांसद के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस को भी आड़े हाथों लिया.
जज ने कहा, ‘यह इस बात का इशारा करता है कि राज्य में किस हद तक अराजकता पहुंच गई है.' जज दत्ता ने कहा कि हाईकोर्ट पश्चिम बंगाल सरकार के इस रुख के मद्देनजर जांच की निगरानी करेगा कि शिकायत किसी संज्ञेय अपराध का खुलासा नहीं करती है और राज्य ने सांसद का समर्थन करने का प्रयास किया.
जज दत्ता ने नदिया जिले में नक्शीपाड़ा थाने के प्रभारी निरीक्षक को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता बिप्लब चौधरी की एक जुलाई की शिकायत को प्राथमिकी माना जाए. चौधरी, पाल के नदिया जिले में स्थित कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र के निवासी हैं.v जज ने गौर किया कि तापस पाल ने महिलाओं के साथ बलात्कार और विपक्षी पार्टी के समर्थकों की हत्या और उनके वंश का नाश करने की धमकी दी थी, अगर उन्होंने, उनकी पार्टी के समर्थकों से भिड़ने की कोशिश की.
कोर्ट ने कहा ‘पाल का भाषण घृणित है और सभ्यता की सारी हदों को पार करता है.’ जज दत्ता ने कहा, ‘ऐसा लगता है कि संवैधानिक आचार का पाल पर बहुत थोड़ा प्रभाव है, अन्यथा उन्होंने इस भद्दे तरीके से संविधान का अपमान नहीं किया होता.’
जज ने कहा, ‘अगर कानून बनाने वाला कानून तोड़ने वाला बन जाए और कानून लागू करने वाली एजेंसी सूचित किए जाने के बावजूद आंखें मूंद ले, तो क्या कोई सभ्य देश इसे बर्दाश्त कर सकता है.’
उन्होंने कहा, ‘तत्काल कार्रवाई नहीं करने के प्रति पुलिस की उदासीनता इस बात की ओर इशारा करती है कि राज्य में किस हद तक अराजकता व्याप्त हो गई है.’