पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक जब से भारत आए हैं उनका विवादों से पीछा नहीं छूट रहा है. पहले उन्होंने बाबरी मस्जिद कांड का नाम आतंकी घटनाओं के साथ लेकर विवाद खड़ा किया और अब उन्होंने भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की क्षमता पर उंगली उठा दी है.
रहमान मलिक ने मुंबई आतंकवादी हमले नहीं रोक पाने के लिए भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि भारत में सरकार से इतर काम करने वाले तत्व इस जनसंहार में शामिल थे.
मलिक ने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान और भारत के बीच संवाद होता और नियमित जानकारी साझा की जाती तो 26/11 के हमले को रोका जा सकता था.
उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी-अमेरिकी आतंकवादी डेविड हैडली ने अलकायदा के आतंकवादी इलियास कश्मीरी, पाकिस्तानी सेना के एक सेवानिवृत्त मेजर और तीन भारतीय आतंकवादियों अबू जिंदल, जबीउल्लाह और फहीम अंसारी के साथ साजिश रची थी. उन्होंने कहा कि हैडली आजादी से घूमा और उसने भारत में आतंकवादी हमले की साजिश रची.
उन्होंने आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में व्याख्यान देते हुए कहा, ‘इसलिए यह किसी देश द्वारा प्रायोजित नाटक या गतिविधि नहीं थी. यह सरकार से इतर तत्वों का काम है. हैडली, पाकिस्तान के दुश्मन (इलियास) कश्मीरी और पाकिस्तानी सेना को छोड़ने वाले एक मेजर की तिकड़ी ने लश्कर-ए-तैयबा के साथ शामिल होकर यह काम किया और जाहिर है कि इसमें तीन भारतीय भी थे.’
मलिक के मुताबिक पूछताछ के दौरान यह पता चला कि उन्होंने जगहों की रैकी की और बिना बाधा के तथा कानून प्रवर्तन एजेंसियों की नजर में आए बिना फिल्में बना लीं.
उन्होंने कहा, ‘अगर आप इन चीजों को साथ में देखें तो तीन लोग हैं. एक अमेरिका से आया जिसके पास पैसा है, क्रेडिट कार्ड हैं. वह हर तरफ घूम रहा है. उसने एक सामाजिक दायरा बना लिया है. इन सभी को कुछ एजेंसियों की नजर में आना चाहिए.’
मलिक ने कहा, ‘अब एजेंसियों की नाकामी है. यहां और पाकिस्तान दोनों जगहों पर. इसलिए हम नाकाम रहे. क्यों? क्योंकि पाकिस्तान और भारत के बीच कोई वार्ता नहीं हुई.’