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व्यंग्य: 'एक पर अनेक' जैसी स्कीम की तरह मुफ्त में मिलते हैं रिश्तेदार

रिश्तेदारों की एक खासियत होती है, वो हमेशा मुफ्त में मिलते हैं, कोई भी नया रिश्ता जोड़िये मुफ्त में ढेरों रिश्तेदार मिलेंगे. जैसे ‘एक पर अनेक मुफ्त’ की कोई स्कीम चल रही हो. वैसे तो रिश्तेदार ‘बेटी शादी लायक हो गई है’ बताने या बेटे का रिजल्ट पूछने के लिए होते हैं. कुछ होते हैं जो ये बताते रहते हैं कि नोएडा के जिस ऑफिस में उनका बेटा काम करता है वहां जब चाहो कॉफी मुफ्त मिलती है.

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रिश्तेदारों की एक खासियत होती है, वो हमेशा मुफ्त में मिलते हैं, कोई भी नया रिश्ता जोड़िये मुफ्त में ढेरों रिश्तेदार मिलेंगे. जैसे ‘एक पर अनेक मुफ्त’ की कोई स्कीम चल रही हो. वैसे तो रिश्तेदार ‘बेटी शादी लायक हो गई है’ बताने या बेटे का रिजल्ट पूछने के लिए होते हैं. कुछ होते हैं जो ये बताते रहते हैं कि नोएडा के जिस ऑफिस में उनका बेटा काम करता है वहां जब चाहो कॉफी मुफ्त मिलती है.

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लेकिन कुछ इससे भी कहीं आगे निकल जाते हैं और वो होते हैं स्कीम बताने वाले रिश्तेदार. अक्सर ये बीमा एजेंट होते हैं या चिटफंड कंपनियों के ग्राहक. कुछ चेन मार्केटिंग वाले रिश्तेदार भी होते हैं, इनके पास जब भी बैठिए दो-चार बातों के बाद कोई ऑफर दे डालेंगे. इनकी टाइमिंग जबराट होती है. भदोही वाले फूफा के दसवें पर बंदरिया मुक्तिघाट पर सब सिर मुंडा रहे होते हैं और ये आपको भरोसे में लेकर लपेट रहे होते हैं कि कैसे चिटफंड में 1500 देते ही दो सूट के कपड़े, महीनेभर का वॉशिंग पाउडर और सालभर के अन्दर स्विफ्ट डिजायर आपके मकान के बाहर खड़ी होगी. चेन मार्केटिंग वाले रिश्तेदार ये भी बता डालते हैं कि बाहर बाजार में कैसे आपका गला काटा जा रहा है, तीस का माल सत्तर के मुनाफे पर आपको सौ में टेकाया जा रहा है. उनके घटाटोप ज्ञान से चमत्कृत होकर जब तक इससे बचने का उपाय पूछें, वो चमकती सी कोई स्कीम हाथों में पकड़ा देंगे. सौ रोगों कि एक दवा बस ये उत्पाद इस्तेमाल कीजिए पच्चीस प्रतिशत छूट अभी और अगर अगले को आप यही बेच पाएं तो पचास प्रतिशत आपके. उनके दिए ज्ञान के आलोक में आप ये भी पूछना भूल जाएंगे कि जब 75 प्रतिशत मुनाफा यहीं बांट दिया तो कम्पनी को क्या जाएगा? 'दिव्य ठुल्लू-ए-बाबा?'

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हंसा न रोया तब जाता है, जब डेढ़ हजार का टूथपेस्ट या चार हजार की फेयरनेस क्रीम आपके गले पड़ जाए.कहां छह महीने तक बेलन से दबा-दबाकर चालीस वाली ट्यूब में लेशमात्र न छोड़ने वाले आप और कहां हर सुबह बिना झाग का टूथपेस्ट. बंदा शिकायत तक नहीं कर सकता इस हीनभावना में कि शायद दांतों की औकात ही न रह गई है इतना महंगा टूथपेस्ट लगाने की. फेयरनेस क्रीम लगाने वालों का मामला ही अलग होता है. वो बेचारे इतनी महंगी क्रीम लगाने के अपराधबोध में मुंह धोने से भी बचते हैं.

सबसे खतरनाक होते हैं वो रिश्तेदार जो बीमा एजेंट हों और अपने इष्टदेव को याद कीजिए अगर वो बीवी के रिश्तेदारों में से हों. पहले तो वो एक पॉलिसी पका ही चुके होते हैं और फिर आपकी बारी होती है. न कहते हैं तो पत्नी से आपके जीवन कि रक्षा कोई कर ही नहीं सकता और हां कहकर फिर दो-चार किश्त जमाकर पैसे डुबोने वाले शहीदों में अपना नाम लिखा डालते हैं.

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