देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और रिलायंस पेट्रोलियम का विलय हो गया है. सोमवार को मुंबई में कंपनी के बोर्ड बैठक में इसकी घोषणा की गई.
इस घोषणा में बताया गया कि रिलायंस पेट्रोलियम के 16 शेयर के बदले रिलायंस इंडस्ट्रीज के 1 शेयर मिलेंगे. यह विलय एक अप्रैल से लागू होगी.
इस घोषणा से जहां आरपीएल के शेयरधारकों को फायदा होगा वहीं रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरधारकों में निराशा देखी गई. शेयर बाजार खुलते ही जहां रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में गिरावट देखी गई. वहीं आरपीएल के शेयरों में शुरुआती तेजी दर्ज की गई. मर्जर के बाद कंपनी की सालाना बिक्री बढ़कर 20 से 30 हजार करोड़ बढ़ने का अनुमान है.
इसके अलावा कंपनी का मुनाफा भी 400 से 500 करो़ड़ रुपये बढ़ने का अनुमान है. जानकारों का मानना है कि इस मर्जर से रिलायंस इंडस्ट्रीज को काफी फायदा होगा क्योंकि आरपीएल के एक्सपोर्ट ओरिएंटेड यूनिट स्टेटस के चलते कंपनी को 5 साल तक टैक्स में छूट मिलेगी। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी का कहना है कि ये फैसला शेयरधारकों के हित में लिया गया है और इससे कंपनी का ईपीएस यानी प्रति शेयर आमदनी बढ़ेगी.
इस विलय के बाद रिलायंस इंडस्ट्रीज को स्पेशल इकॉनोमिक जोन के टैक्स छूट के फायदे भी मिलेंगे. साथ ही उसके अगले पांच साल तक आधी कमाई पर ही टैक्स लगेगा. इस विलय के बाद कंपनी एक्साइज और स्टाम्प ड्यूटी में भी अच्छी खासी रकम बचाने में कामयाब हो जाएगी.