गैस कीमतों में संशोधन में हो रही देरी से रिलायंस इंडस्ट्रीज खफा हो गई है और उसने अपनी सहयोगी विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर सरकार को मध्यस्थता नोटिस थमा दिया है.
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने ब्रिटिश कंपनी बीपी पीएलसी और कनाडा की नीको रिसोर्सेज के साथ बयान जारी कर कहा है, 'आरआईएल, बीपी और नीको ने भारत सरकार को 9 मई 2014 को मध्यस्थता नोटिस दिया. इसमें सरकार से 10 जनवरी 2014 को अधिसूचित घरेलू प्राकृतिक गैस कीमत दिशा निर्देश 2014 का कार्यान्वयन करने को कहा गया है.'
इसके मुताबिक, 'गैस के लिए मंजूरशुदा फॉर्मूले के हिसाब से कीमतों को अधिसूचित करने में भारत सरकार के स्तर पर लगातार देरी हो रही है इसलिए संबद्ध पक्षों के पास नोटिस के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.'
गौरतलब है कि रिलायंस (आरआईएल) और उसकी सहयोगी फर्मों को बंगाल की खाड़ी में केजी डी6 क्षेत्र की प्राकृतिक गैस के लिए नई दर 1 अप्रैल से मिलनी थी. इस गैस के लिए 4.205 डॉलर प्रति मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट की दर की समय-सीमा खत्म हो गई है जो पांच साल के लिए थी. आम आदमी पार्टी लगातार कैस कीमतों में प्रस्तावित बढ़ोतरी का विरोध करती रही है और इस मसले पर रिलायंस और सरकार में साठ-गांठ का आरोप लगाती रही है. पार्टी की अपील के बाद ही चुनाव आयोग ने चुनाव संपन्न होने तक गैस कीमतों में बढ़ोतरी के फैसले को टाल दिया था.
हालांकि, कैबिनेट ने निजी और सार्वजनिक कंपनियों की घरेलू गैस के लिए नए कीमत फार्मूले को 19 दिसंबर 2013 को मंजूरी दे दी थी और इसे 10 जनवरी को अधिसूचित कर दिया गया लेकिन नई दर का कार्यान्वयन तय कार्य्रकम के अनुसार नहीं हो पाया.
पेट्रोलियम मंत्रालय ने इस फॉर्मूले के तहत नई दरों की घोषणा में देरी की और यह सरकारी गजट में 17 जनवरी को प्रकाशित हुआ. इस बीच 5 मार्च को लोकसभा चुनावों की घोषणा हो गई और चुनाव आयोग ने सरकार से कहा कि वह नई दरों को चुनाव प्रक्रिया पूरी होने से पहले अधिसूचित न करे.
रिलायंस और उसकी सहयोगी कंपनियों का कहना है कि नई दरें लागू न होने के कारण वे अंतरिम रूप से पुरानी दरों पर ही गैस बेचने को मजबूर हैं और अभी यह स्पष्ट नहीं है कि नई दरें कब अधिसूचित होंगी. क्योंकि बीजेपी जिसकी नई सरकार बनाने की संभावना जताई जा रही है, पहले ही कह चुकी है कि वह फॉर्मूले की समीक्षा करना चाहेगी.
इन कंपनियों का कहना है कि कीमतों पर स्थिति स्पष्ट न होने के चलते वे इस साल लगभग 4 अरब डॉलर के निवेश को मंजूरी नहीं दे पा रहीं. गौरतलब है कि ये तीनों भागीदार 1.8 अरब डॉलर के जुर्माने को लेकर पहले ही सरकार के साथ मध्यस्थता की लड़ाई लड़ रही हैं. यह जुर्माना रिलायंस पर उसके केजी डी6 क्षेत्र में धीरूभाई 1 और 3 से गैस उत्पादन लक्ष्य के अनुरूप न होने की वजह से लगाया गया. इनमें इस समय हर रोज 80 लाख घनमीटर गैस उत्पादन हो रहा है जबकि लक्ष्य हर रोज 8 करोड़ घनमीटर उत्पादन का था.