जमीन से जुड़े एक धोखाधड़ी के मामले में केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा और बीजेपी के एक विधायक को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले पर रोक लगा दी है, जिसमें बंगलुरू नगर निगम को गौड़ा की जमीन को अधिग्रहित करने का आदेश दिया गया था.
हाईकोर्ट ने इसके पीछे नियमों के उल्लंघन का हवाला दिया था. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.
प्रशांत भूषण ने की थी पैरवी
बीजेपी नेता के खिलाफ याचिकाकर्ता की ओर से जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने पैरवी की. उन्होंने कहा कि पूरा मामला यह दिखाता है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए बीजेपी नेता ने किस तरह अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि अथॉरिटी की नाक के नीचे धोखाधड़ी हो रही है. गौड़ा ने एक बिल्डिंग बनाने की बात कही थी और बाद में उसमें दो हिस्से कर दिए.
बता दें कि केंद्रीय मंत्री सदानंद गौड़ा और कर्नाटक के एक विधायक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके 2012 में आए हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की थी. उन्होंने मांग की थी कि उनके प्लॉट वापस दिलाए जाएं. हाईकोर्ट ने दोनों को भूमि आवंटन कानून के उल्लंघन का दोषी पाया था और एग्रीमेंट रद्द करने का आदेश दिया था.
अपना पक्ष रखते हुए गौड़ा ने कहा कि हाईकोर्ट से गलती हुई है और उन्होंने किसी तरह के कानून का उल्लंघन नहीं किया है. हाईकोर्ट ने उन्हें जमीन वापस करने को कहा था.