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ISIS के खिलाफ प्रतिरोधक है भारत की धार्मिक सहिष्णुताः अमेरिकी सुरक्षा विशेषज्ञ

आतंकवाद पर अमेरिकी विशेषज्ञ गैरी लैफरी ने सोमवार को कहा कि भारत की धार्मिक विविधता और सहिष्णुता आईएसआईएस के खिलाफ प्रतिरोधक के तौर पर काम कर रही है और आईएसआईएस का असर अन्य देशों की तुलना में भारतीय आबादी के बीच बहुत कम है.

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आतंकवाद पर अमेरिकी विशेषज्ञ गैरी लैफरी ने सोमवार को कहा कि भारत की धार्मिक विविधता और सहिष्णुता आईएसआईएस के खिलाफ प्रतिरोधक के तौर पर काम कर रही है और आईएसआईएस का असर अन्य देशों की तुलना में भारतीय आबादी के बीच बहुत कम है.

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नेशनल सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ टेररिज्म एंड रेसपांसिस टू टेररिज्म (स्टार्ट) के निदेशक लैफरी ने कहा, ‘इस देश की यात्रा करने के दौरान इसकी धार्मिक विविधता और अभिव्यक्ति वाकई आकर्षित करती है. जब आईएसआईएस इस्लाम और अन्य धर्मों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश कर रहा हो, तब यहां अनेक धार्मिक संगठनों का सांमजस्य के साथ रहना उसके लिए प्रतिरोधक का काम कर रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘जिन देशों में एक धर्म का प्रभुत्व है, वहां आईएसआईएस के लिए मुस्लिमों को एकजुट करना आसान है. लेकिन भारत में इसकी विविधता की वजह से यह संभव नहीं है जहां इतने सारे धर्म, चर्च, मस्जिद एक साथ हैं.’

लैफरी ने कहा, ‘भारत में आईएसआईएस का असर बहुत कम है. अमेरिका और यूरोप में हमें आईएसआईएस को लेकर काफी चिंता है.’ आईएसआईएस को भयावह संगठन करार देते हुए उन्होंने कहा कि आईएसआईएस में नेतृत्व की जड़ें गहरी हैं और इसे समाप्त करना आसान नहीं होगा.

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हालांकि लैफरी ने इस ओर इशारा किया कि भारत में धार्मिक कट्टरपंथ पर आधारित आतंकवाद बढ़ रहा है.

उन्होंने कहा, ‘2014 में वैश्विक आतंकवादी हमलों की सूची में भारत चौथे स्थान पर आता है. उससे पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और इराक हैं. भारत में हर तरह के आतंकवाद का असर है, चाहे धार्मिक हो, वामपंथी हो, दक्षिणपंथी हो या अन्य और कोई हो. 60 फीसदी हमले माओवादियों और वामपंथी उग्रवाद के होते हैं.’

इनपुट: भाषा

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